Big News: अगले 10 साल में हार्ट अटैक का सबसे ज्यादा खतरा बेरोजगारों में

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के अध्ययन ने चौंकाया

Unemployed people are at highest risk of heart attack in the next 10 years

Unemployed people are at highest risk of heart attack in the next 10 years

नई दिल्ली (ब्यूरो)। कामकाज करने वालों की तुलना में बेरोजगारों में हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा है। अगले 10 साल में ये लोग हृदय संबंधी बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। इसका मुख्य कारण रोजगार को लेकर लगातार तनाव और ली गई शिक्षा के अनुरूप नौकरियां नहीं मिलना है। महिलाओं की तुलना में पुरुष हृदय संबंधी रोगों को लेकर ज्यादा असुरक्षित पाए गए हंै।

यह जानकारी भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और दिल्ली एम्स के संयुक्त चिकित्सा अध्ययन में सामने आई है, जो इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित किया गया है। देश में पहली बार गैर प्रयोगशाला जोखिम चार्ट का इस्तेमाल करते हुए आईसीएमआर के शोधकर्ताओं ने युवा आबादी में हृदय संबंधी बीमारियों (सीवीडी) का सटीक जोखिम पता लगाया है। इसमें पता चला है कि देश की करीब 15 फीसदी आबादी अगले 10 साल यानी 2034 तक सीवीडी की चपेट में आ सकती है। दरअसल, यह अध्ययन ऐसे समय में सामने आया है जब सोशल मीडिया पर युवाओं को हार्ट अटैक आने के कई वीडियो वायरल हो रहे हैं।

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पहली बार विश्व स्वास्थ्य संगठन के गैर-प्रयोगशाला जोखिम चार्ट का उपयोग करते हुए भारत में 40 से 69 वर्ष के करीब 4,480 लोगों पर अध्ययन हुआ। इनमें से 50 फीसदी 40 से 49 वर्ष की आयु वाले हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, 4,480 लोगों में पुरुष 2328 (52 फीसदी) व 2152 महिलाएं शामिल हैं। अध्ययन के अनुसार जिन लोगों में फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज का स्तर बेकाबू रहता है उनमें से करीब 25 फीसदी यानी हर चौथे रोगी में सीवीडी का जोखिम अधिक है।Unemployed people are at highest risk of heart attack in the next 10 years

अध्ययन में हृदय संबंधी बीमारियों का अगले 10 साल में बहुत कम, मध्यम और उच्च जोखिम का अनुपात क्रमश: 84.9, 14.4 और 0.7 फीसदी पाया गया। इनमें 348 बेरोजगार भी शामिल हैं, जिनमें से 4.5 फीसदी में अगले 10 साल के भीतर दिल का दौरा पडऩे का खतरा काफी गंभीर पाया गया, जबकि कामकाज करने वाले करीब 12 फीसदी लोगों में यह जोखिम मध्यम श्रेणी का पाया गया। अध्ययन के मुताबिक, शहरी आबादी में गंभीर जोखिम सबसे ज्यादा मिला है। करीब 17.5 फीसदी शहरी आबादी में सीवीडी का जोखिम मध्यम से गंभीर श्रेणी तक मिला, जो ग्रामीण आबादी में करीब 13.8 फीसदी है।

source –  आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद

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