4 इंच बारिश में ही देश का सबसे स्वच्छ, स्मार्ट शहर डूबा

60 से अधिक स्पॉट किये थे चिन्हित, कहीं भी नहीं हुआ सुधार कार्य

The country's cleanest, smart city drowned in just 4 inches of rain
The country’s cleanest, smart city drowned in just 4 inches of rain

इन्दौर। पूरे देश में लगातार 7 बार स्वच्छता का तमगा लेने वाले इन्दौर में हर साल बारिश में सड़कें डूबना अब आम हो गया है। कहीं भी पानी की ऐसी निकासी नहीं हैं जिससे बारिश के कुछ देर बाद ही पूरा पानी निकल जाए और लोगों को कोई परेशानी न हो। कल फिर तेज बारिश हुई और कई चौराहों पर भारी जाम लगा। विजय नगर पर तो 3 घंटे तक हजारों वाहन फंसे रहे जिसमें कई एंबुलेंस भी थीं। पिछले साल जलजमाव के 60 स्थान चिन्हित किये गये थे और इन्हें सुधारने की बात कही गई थी मगर कहीं भी सुधार नहीं हुआ और फिर बारिश का पानी भर गया। कतिपय नेता एसी कारों में ही घूमते हैं और सर्वसुविधायुक्त कमरों में बैठकर निर्णय लेते हैं, जबकि जमीनी स्तर पर कोई सुधार नहीं होता है।

शहर को चलाने के लिए इस बार नगर निगम ने 8 हजार करोड़ से अधिक का बजट पास किया और एक साल में तमाम विकास कार्य करने के दावे किये गये। भाजपा पार्टी 24 साल से सत्ता में है, बावजूद इसके शहर को बारिश में कोई राहत नहीं मिल पा रही है। कई महापौर आए और चले गये मगर जलजमाव की समस्या यथावत है। वर्तमान महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने शहरहित में कई नवाचार शुरू किये मगर किसी में भी नागरिकों को राहत नहीं मिल रही है। एक साल पहले 60 जगह जलजमाव के लिए चिन्हित किये गये थे मगर आज भी इन जगहों पर पानी भर रहा है।

Also Read – 100 अवैध कॉलोनियां चिन्हित, 34 को नोटिस, प्रशासन अब करेगा ठोस कार्रवाई

कल 4 घंटे तक हुई लगातार बारिश से स्मार्ट शहर की पोल खुल गई और स्वच्छता की हकीकत भी सामने आ गई। निगम के सभी झोनों पर नए अधिकारी नियुक्त किये गये हैं जिनमें से अधिकांश को कोई अनुभव नहीं है बावजूद इसके सैकड़ों कॉलोनियां इनके हवाले कर दी गई। कल कुल 6 इंच बारिश हुई है और विजय नगर सहित कई चौराहों पर पानी के कारण जाम लगा रहा। कहीं भी कोई नेता नहीं दिखा न ही सोशल मीडिया पर कोई पोस्ट दिखी जिससे यह लगे कि नेताजी शहर हित में सड़क पर उतरे हों। कतिपय नेता एसी कारों में ही निरीक्षण करते हैं और निर्णय लेते हैं। जिम्मेदारी अधिकारी भी एसी केबिन में बैठकर आदेश जारी करते हैं। वे कभी फील्ड में नहीं जाते हैं न ही आम जनों से कोई बात करते हैं।

पेंचवर्क के नाम पर करोड़ों का भ्रष्टाचार

निगम सड़कों के पेचवर्क, गड्ढे भरने के लिए करोड़ों रूपये खर्च करता है। टैंडर किये जाते हैं, मगर इंजीनियरों, ठेकेदारों की मिलीभगत से कहीं भी ठोस काम नहीं होता है और कुछ जगह ही काम होता है और पैसों का पूरा भुगतान हो जाता है। सिटी इंजीनियर मौके पर काम नहीं देखते हैं। पिछले दिनों फर्जी बिल घोटाला भी उजागर हुआ जिसमें अधिकारी सहित ठेकेदार, कर्मचारी जेल भी गये मगर निगम में भ्रष्टाचार नहीं रूक रहा है। महापौर से सख्त कहा है कि अब गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी मगर इंजीनियर नहीं सुधर रहे हैं। कई झोन पर एक ही इंजीनियर सालों से पदस्थ है। कईयों के रिश्तेदार, मित्र ठेकेदार हैं और उन्हीं को ठेका मिलता है। हर फाईल पर 15 से 18 प्रतिशत तक कमीशन भी बंटता है। ठेकेदार घटिया काम करते हैं और बारिश में फिर समस्या खड़ी हो जाती है।

अब कीचड़, गंदगी से लोग परेशान, सड़कों पर गड्ढे ही गड्ढे

इन्दौर। शहर में कल चार घंटे की बारिश में ही त्राहि त्राहि मच गई और लाखों लोग शाम से लेकर रात तक जाम में फंसे रहे। पहली बार हुई तेज बारिश के बाद पूरे शहर की सड़कों की हालत खराब हो गई है। वाहन चालक कलाबाजी करते हुए सड़कों से निकलने को मजबूर हैं। सुबह से रात तक कई जगह दुर्घटनाएं भी हो रही हैं। इसी तरह अब कीचड़, गंदगी भी अधिक होने लगी है।

तेज बारिश से पानी का बहाव अधिक होता है और कचरा, गंदगी बहकर सड़क चोराहों पर आ जाती है। जहां जहां निर्माण कार्य चल रहे हैं वहां कीचड़ की समस्या भी है। इसी तरह कच्चे इलाकों में भी लोग परेशान हैं। निगम के अधिकारी सिर्फ दावा करते हैं, जबकि कहीं भी पेंचवर्क नहीं हो रहा है न ही इंजीनियर सड़कों पर दिखते हैं। जब भी शहर में तेज बारिश होती है तो जलजमाव, यातायात जाम, बिजली गुल, पेड़ गिरना जैसी घटनाएं अधिक होती हैं। प्रशासन, नगर निगम, बिजली विभाग हर बार दावा करता है कि अब कोई समस्या नहीं होगी मगर ऐसा नहीं होता है और 3 से 4 इंच की लगातार बारिश में ही शहर डूब जाता है। indore heavy rain

अधिकांश सड़कें, चौराहे पानी से लबालब होते हैं और वाहन चालक फंसे रहते हैं। शहर में जहां जहां निर्माण कार्य चल रहा है,वहां वहां कीचड़, गंदगी से लोग परेशान हैं। निगम के अधिकारी कहीं भी कल शाम को नहीं दिखे। छोटे कर्मचारी ही कहीं कहीं जरूर राहत काम करते रहे। जिन सड़कों पर गड्ढे हैं वहां वाहन चालक कलाबाजी करते हुए निकलने को मजबूर हैं। बाइक वाले कई बार संतुलन बिगडऩे से गिर जाते हैं और दुर्घटनाएं हो जाती हैं। जिम्मेदारों की नंीद नहीं खुल रही है न ही जनता नेताओं को घेर रही है। अधिकारी एसी कार और कमरों में बैठकर ही निर्णय लेते हैं और जमीन पर कोई काम नहीं हो रहा है। कीचड़, गंदगी, कचरा, गंदा पानी जैसी समस्याएं अब अधिक हैं। निगम के इंजीनियर इन समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। rain in indore

पेंचवर्क के नाम पर करोड़ों का भ्रष्टाचार

निगम सड़कों के पेचवर्क, गड्ढे भरने के लिए करोड़ों रूपये खर्च करता है। टैंडर किये जाते हैं, मगर इंजीनियरों, ठेकेदारों की मिलीभगत से कहीं भी ठोस काम नहीं होता है और कुछ जगह ही काम होता है और पैसों का पूरा भुगतान हो जाता है। सिटी इंजीनियर मौके पर काम नहीं देखते हैं। पिछले दिनों फर्जी बिल घोटाला भी उजागर हुआ जिसमें अधिकारी सहित ठेकेदार, कर्मचारी जेल भी गये मगर निगम में भ्रष्टाचार नहीं रूक रहा है। महापौर से सख्त कहा है कि अब गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी मगर इंजीनियर नहीं सुधर रहे हैं। कई झोन पर एक ही इंजीनियर सालों से पदस्थ है। कईयों के रिश्तेदार, मित्र ठेकेदार हैं और उन्हीं को ठेका मिलता है। हर फाईल पर 15 से 18 प्रतिशत तक कमीशन भी बंटता है। ठेकेदार घटिया काम करते हैं और बारिश में फिर समस्या खड़ी हो जाती है।

You might also like