पटवारी ने राष्ट्रीय नेतृत्व की मदद भी उम्मीदवारों तक पूरी नहीं पहुंचाई
कांग्रेस से निष्कासित अजय चौरडिय़ा का नया आरोप
इंदौर। पूरे प्रदेश से जीतू पटवारी की शिकायतें दिल्ली पहुंची है। कई जिलों के अध्यक्षों ने भी इस मामले में बताया है। दूसरी ओर जीतू पटवारी ने लोकसभा चुनाव के दौरान राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा लोकसभा उम्मीदवारों को जो सहायता राशि जारी की थी वह उम्मीदवारों को पूरी तरह से नहीं मिली है इसमे बड़ा घोटाला हुआ है। राष्ट्रीय नेतृत्व इस मामले में उम्मीदवारों से भी चर्चा कर जानकारी ले सकता है। दूसरी ओर पिछले दिनों लोकसभा चुनाव के बाद फेक्ट फांडिंग कमेटी की बैठक में भी यह जानकारी सामने आई है।
यह बात कांग्रेस से निष्कासित हुए व्यापारी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष रहे अजय चौरडिय़ा ने एक न्यूज चैनल के साथ बातचीत में कहीं उन्होंने यह भी दावा किया कि अगला चुनाव जीतू पटवारी के नेतृत्व में नहीं होगा। प्रदेश कांग्रेस को मजबूत बनाना है तो जीतू पटवारी को हटाया जाना बेहद जरुरी है। अजय चौरडिय़ा ने यह भी कहा कि उन्हें दिग्विजयसिंह और कमलनाथ दोनों का आज भी आशीर्वाद है। वे कांग्रेसी थे और कांग्रेसी ही रहेंगे। चौरडिय़ा ने लोकसभा चुनाव के दौरान जीतू पटवारी द्वारा किए गये कार्यों से कांग्रेस को कितना नुकसान हुआ है इसके उदाहरण भी दिये। उन्होंने कहा कि इंदौर में ही कांग्रेस ने अक्षय बम को उम्मीदवार बनाया था उसमे पटवारी की बड़ी भूमिका थी और पहले दिन से ही यह तय था कि यह चुनाव नहीं लड़ पायेगा क्योंकि उन पर कई मामलों को लेकर शिकायतें दर्ज थी।
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ऐसे में वे मैदान में टिक नहीं सकते थे। वहीं मोतीसिंह पटेल को भी फार्म कांग्रेस से नहीं भरने दिया। यह बता रहा है कि उन्होंने खुद इस हरकत को अंजाम दिया इसके अलावा मुरैना में भी एक माह तक दावेदारी को उलझा कर रखा। चौरडिय़ा ने दावा किया कि उनके भाजपा के कई नेताओं से जमीन के कारोबारी रिश्ते हैं। इसके अलावा लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा उम्मीदवारों की सहायता के लिए जो राशि दी गई थी उसमे बड़ा खेल किया गया था। मध्यप्रदेश कांग्रेस को भी राशि देना थी वह तो दी ही नहीं गई। आपने दावा किया कि यदि जीतू पटवारी को नहीं हटाया तो कांग्रेस दस साल पीछे खसक जाएगी और जनाधार बुरी तरह से टूट जाएगा। वैसे भी इस चुनाव में मात्र २१ विधानसभा सीटों में ही बहुमत की स्थिति बनी है। कांग्रेस का कोर बोट भी टूट चुका है।
आज तक पटवारी ना कांग्रेस के नेता बन पाये हैं और ना ही संगठन के नेता बने हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें समय से पहले और हैसियत से ज्यादा मिलने के कारण उन्होंने अपने कई वरिष्ठ नेताओं का सम्मान करना लगभग समाप्त कर दिया था। चौरडिय़ा ने यह भी बताया कि उन्होंने प्रकोष्ठ का अध्यक्ष बनने के बाद हर जिले का दौरा करने के साथ कमलनाथ को हर जिले की रिपोर्ट बनाकर भी दी साथ ही उन्हें उद्योगपतियों और व्यापारियों के साथ बातचीत के कई प्लेटफार्म भी बनाकर दिये और इसीलिए विधानसभा चुनाव में व्यापारी और उद्योगपति कांग्रेस से जुड़े यह प्रयास मेरा आज भी जारी है। मैने अपने साथियों से भी कहा है कि वे कांग्रेस की सेवा करते रहें।