गुस्ताखी माफ़: और चिट्ठा सामने आते ही संघवी से बनाई छेंटी…कांग्रेस की जमीन अब खत्म हो रही है…

इधर अल्लाह पहलवान तो फिर...

और चिट्ठा सामने आते ही संघवी से बनाई छेंटी

इन दिनों कुदा-कादी महोत्सव के बाद नए-नए भाजपायी बने कई कांग्रेसी नेता अपने आप को भाजपा में स्थापित करने लिए अलग-अलग रास्ते तलाश कर रहे है। जैसा वे कांग्रेस में किया करते थे, कांग्रेस की संस्कृति थी कि वे पेराशूट से ही उतरते थे। उन्हें विश्वाश है कि भाजपा भी अब संस्कारों में कांग्रेसी होती जा रही है। इसी लिए कांग्रेसियों के साथ उनकी बुराई भी भाजपा में जगह बनाने लगी है। अब यह देखा कि कौनसा नेता किधर से ताकत के इंजेक्शन लगवा रहा है। तो संजय शुक्ला अब सीधे दिल्ली में संपर्क बढ़ा रहे है। वे भी जानते है कि कांग्रेस हो या भाजपा उम्मीदवारी के रास्ते कुछ इसी प्रकार से बनाए जाते है। इधर लोकसभा से लेकर विधानसभा और इसके महापौर के चुनाव में लगातार हार का ठिकरा अपने माथे फुड़वाने वाले पंकज संघवी ने भी अब गुजरात से ही अपनी गुजरात लॉबी तैयार करने को लेकर समीकरण बनाए थे और उन्होंने गुजराती समाज के शताब्दी समारोह में अब राज्यपाल मंगूभाई पटेल और कैलाश विजयवर्गीय को अतिथि के रूप में आमंत्रित कर गली में धीरे-धीरे रन निकालने का काम शुरू किया था, परन्तु गुजराती समाज के लोगों ने पुलिस की अपराध शाखा द्वारा जमीनो की हेराफेरी के दस्तावेज राज्यपाल को भेट कर दिए, इसके बाद दी गई जानकारी में यह भी बताया गया कि पूरा परिवार जमीन हथियाने के प्रयास में कई अपराधिक धाराओं में उलझा हुआ है। इसके बाद जहां राज्यपाल ने अचानक कार्यक्रम से दूरी बनाई वहीं अब एक बार फिर उन्हें अब भाजपा में अपनी ताकत बढ़ाने के लिए नए रास्ते तलाशने होंगे। हालांकि उनके परिवार का जमीन प्रेम सर्वविदित हो चुका है।

कांग्रेस की जमीन अब खत्म हो रही है…

मध्यप्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय शहर में ५१ लाख पौधे लगाने के अभियान में कांग्रेस को भी शामिल करने का निमंत्रण देकर कांग्रेस कार्यालय क्या पहुंचे उनके वापस लौटने के बाद से लेकर अभी तक उनके पैरों की गूंज बनी हुई है। उनके पदचिन्ह को लेकर कांग्रेस के कई दिग्गज अपना माथा पीट रहे हैं। पूरी कांग्रेस इस मामले में कीकर्तव्यमूढ़ की स्थिति में आ गई है। संगठन के बड़े नेताओं ने इस मामले में नगर अध्यक्ष सुरजीत चड्डा और जिला अध्यक्ष सदाशिव यादव को नाटकीय तरीके से नोटिस देकर इस मामले का पटाक्षेप कर दिया है। नोटिस के जवाब के बदले में निलंबन की कार्रवाई को यथावत रखा वह भी सात दिन बाद क्या रही इस मामले में कुछ भी पता नहीं है। कांग्रेस के नेता जिस कैलाश विजयवर्गीय के कांग्रेस कार्यालय आने पर हुए स्वागत को लेकर तिलमिला रहे हैं उन्हें यह भी समझ चाहिए कि उनके पास इस कद का कोई नेता अब मालवा निमाड़ में क्यों नहीं बन पाया। कांग्रेस नेताओं के भाजपा नेताओं से मतभेद हो सकते हैं पर मनभेद नहीं हो सकते। यह मालवा की मिट्टी की खासियत है। दूसरी ओर अब कांग्रेस से निष्कासित अजय चौड़रिया ने इस मामले में कई सवाल उठाये है उनका कहना है कि २० जुलाई को ही जब सदाशिव यादव और चड्डा का निलंबन हो चुका था तो फिर अगले छह दिनों तक संगठन के नेता नोटिस नहीं दिये जाने की बात क्यों बोलते रहे दूसरी ओर इसे मीडिया से भी छुपाया गया नौ दिन बाद भी अनुशासन समिति ने कोई कार्रवाई नहीं की जो यह बता रहा है कि इस सामने कांग्रेस का संगठन में कैसे लोग काबिज है। दूसरी ओर एक ओर सवाल उठ रहा है कि जहां राहुल गांधी पूरे देश में संविधान की लाल किताब लेकर दुहाई दे रहे हैं तो दूसरी ओर कांग्रेस संगठन के ही नेता कांग्रेस का संविधान अपनी सुविधा के अनुकुल बना रहे है और बदल भी रहे हैं। मजेदार बात यह है कि शहर और जिला कांग्रेस के अध्यक्ष निलंबित होने के बाद भी संगठन की बैठक ले रहे हैं। वाह री कांग्रेस….

 


इधर अल्लाह पहलवान तो फिर…

पानीदार लोगों से भरे मालवा अंचल में इस बार बारिश कम होने से चिंता की लकीरे अब किसानों के बीच खीचने लगी है। खरीफ की फसल की बुआई भी उनके लिए चिंता का विषय बन रही है। दूसरी तरफ और भी लोग है जिन्हें अपने कामों पर विश्वाश नहीं है वे नए-नए प्रयोग बारिश के टोटको को लेकर करते रहते है। इधर मंदसौर में दो दिन पहले बारिश की तमन्ना को लेकर गधों को तस्तरी में रखकर गुलाब जामुन खिलाए ताकि वर्षा हो सकें। खाने वाले तो गधे थे यह तो दिख रहा था पर खिलाने वालों की जानकारी सामने नहीं आई है। यदि गधों के गुुलाब जामुन खाने से ही वर्षा का क्रम सुधरता तो इस देश में सबसे ज्यादा गुलाब जामुन खाने वाले इंदौर में ही देखे जा सकते है। अब देखना होगा कि गधो के खाने और खिलाने के बाद वर्षा की स्थिति क्या बनेगी, पर जो भी हो यह समझ नहीं आया कि भगवान ने कधों की लाज बचा ली या खिलाने वालों की कल यहां झमाझम बारिश का दौर जमकर चला। अब अन्य क्षेत्रों में भी कधे बाजार में आपदा को अवसर बनाने के लिए सक्रिय हो गए है। भले ही उन्हें छोटा पैकेज मिले। दूसरी तरफ एक और खबर में यह बताया गया कि नीमच के पास वर्षा कराए जाने को लेकर आधी रात खेतों में महिलाओं को हल में जौत कर हल चलवाया गया इस दौरान महिलाए निर्वस्त्र होकर बेलो की जगह खुद चली है। इस मामले में कहा जा रहा है कि इंद्र को रिझाने के लिए यह टोटका किया जाता है। अब सवाल उठ रहा है कि इंद्र देवता है या कोई लुच्चा जो इस प्रकार के मामलों के बाद ही वर्षा कराएगा। अगर ऐसा होता तो अमेरिका और ब्रिटेन में कई शहरों में बाढ़ के हालात ही बने रहते क्योंकि यह आधी आबादी समुंद्र के आसपास ही बेहद कम वस्त्रों में दिनभर देखी जा सकती है। अब जो भी हो सार यह है कि पेड़ो की अंधाधुंध कटाई ने वर्षा के क्रम को बिगाड़ दिया है। अब आने वाली नसलो को भरपुर पानी और बारिश मिले इसके लिए टोटको की नहीं सघन वृक्षारोपण की जरुरत है और आप तो समझदार है ही आप ने तो अपने कोटे के वृक्ष लगा ही दिए होंगे।

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