आम आदमी की जेब से 4 लाख करोड़ निकाले और 17 हजार करोड़ की छूट दी

16 लाख करोड़ का नया कर्ज लेकर पौने 12 लाख करोड़ का ब्याज चुकाने की तैयारी

4 lakh crores were taken out of the common man's pocket and a rebate of Rs. 17 thousand crores was given.
4 lakh crores were taken out of the common man’s pocket and a rebate of Rs. 17 thousand crores was given.

नई दिल्ली (ब्यूरो)। कल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल के आठ महीने के लिए अपना बजट प्रस्तुत किया। इस बार बजट में जहां आंध्र और बिहार को भरपूर राशि आवंटित की गई वहीं कई राज्यों की योजनाओं को हाथ नहीं लगाया गया। दूसरी ओर 22 पृष्ठ के इस पेचिदा बजट में जो बातें नहीं बताई गई उसे हम यहां परत दर परत बता रहे हैं।

250 लाख करोड़ के कर्ज की किश्त के रूप में इस बार पौने 12 लाख करोड़ के ब्याज का भुगतान करना है। दूसरी ओर सरकार कर्ज के इस ब्याज को चुकाने के लिए भी 16 लाख 13 हजार करोड़ रुपए का नया कर्ज लेने जा रही है वहीं दूसरी ओर आयकर में आम लोगों को 17500 करोड़़ की छूट देने की वाहवाही के बीच यह नहीं बताया कि सरकार ने इस साल टैक्स से आम लोगों की जेब से 4 लाख करोड़ रुपए ज्यादा राजस्व कमाया है।

इसके अलावा देश में पहली बार व्यक्तिगत आयकर कॉर्पोरेट घरानों के आयकर से ज्यादा हो गया है। इधर आयुष्मान योजना का खूब प्रचार के बाद भी इसकी राशि मेंं मात्र 100 करोड़़ रुपए ही बढ़ाए गए हैं।

कल निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए केन्द्रीय बजट में आयकर की छूट उन लोगों को देने का ढिंढोरा पीटा गया जो अभी भी आयकर दे रहे हैं। मामूली छूट देकर आम लोगों की जेब से सरकार ने 4 लाख करोड़ रुपए का सरकार ने इस बार ज्यादा टैक्स वसूला है।

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इस साल टैक्स की ग्रोथ में 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले साल सरकार को सीधे टैक्स से 27 लाख 28 हजार करोड़़ रुपए आए थे, जबकि इस साल बढ़कर यह 31 लाख 29 हजार करोड़़ हो गया। यानी आयकर, जीएसटी, पेट्रोल-डीजल पर लगे टैक्स से 4 लाख करोड़़ रुपए आम लोगों की जेब से ज्यादा निकले हैं। इधर सरकार अब अपनी योजनाओं के लिए निरंतर कर्ज लेती रहेगी, क्योंकि अब ब्याज की किश्तें भी इस साल से सरकार को देनी है। इस साल ब्याज के रूप में पौने 12 लाख करोड़ की राशि का भुगतान होना है और उधार चुकाने के लिए भी फिर 16 लाख 13 हजार करोड़ का नया कर्ज लिया जाएगा।

दुनियाभर में कंपनियों के टैक्स आम आदमी के टैक्स से ज्यादा होते हैं, परंतु इस बार भारत में व्यक्तिगत टैक्स 11 लाख 87 हजार करोड़ रुपए आया है, जबकि कंपनियों के टैक्स के रूप में सरकार को 4 लाख करोड़ रुपए ही मिले हैं। इसके अलावा इस साल जीएसटी से भी सरकार को 10 लाख 61 हजार करोड़ रुपए टैक्स के रूप में मिले हैं। इधर अब सरकार जीएसटी से भर रहे खजाने के मामले को उजागर नहीं करेगी क्योंकि भारी महंगाई के कारण सरकार आम लोगों से टैक्स ज्यादा वसूल रही है। इसे लेकर देशभर में अब टैक्स व्यवस्था पर नाराजगी बढ़ती जा रही है। देश का हर परिवार इस समय टैक्स के दायरे में आ चुका है।

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