Electoral Bond से चंदा देने वाली 1300 कंपनियों में आया भूचाल, आयकर ने नोटिस जारी किए

चंदा दिखाकर उठाया था छूट का लाभ, अब देना होगा भारी भरकम टैक्स

Earthquake in 1300 companies donating through electoral bond, Income Tax issued notices
Earthquake in 1300 companies donating through electoral bond, Income Tax issued notices

नई दिल्ली (ब्यूरो)। देशभर के तमाम औद्योगिक घराने और कारोबारियों ने राजनीतिक दलों को जमकर चंदा देने के बाद आयकर विभाग से इस मामले में भरपूर छूट ली थी, परंतु उच्चतम न्यायालय द्वारा इसे इसी साल फरवरी में असंवैधानिक घोषित किए जाने के बाद तमाम चंदा देने वाली कंपनियों के नाम चुनाव आयोग के पोर्टल पर आने के बाद आयकर विभाग ने सभी 1300 कंपनियों को जांच के दायरे में लेते हुए नोटिस जारी करना प्रारंभ कर दिया है। इसमें 133 कंपनियों को नोटिस मिल चुके हैं, जिसमें मेघा इंजीनियरिंग से लेकर जेएसडब्ल्यू भी शामिल हैं।

18वें लोकसभा चुनाव से पहले फरवरी 2024 में इलेक्टोरल बॉन्ड्स को लेकर देशभर में जमकर बवाल मचा था। चुनाव आयोग द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने वाली कंपनियों का डेटा सार्वजनिक किया गया। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड (चुनावी बॉन्ड) को असंवैधानिक करार दिया था और सभी आंकड़ों को चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपलोड करने का आदेश दिया था। electoral bond

Also Read – देश में दिल के बीमार 34 प्रतिशत बढ़े, अमेरिका में 41 प्रतिशत घटे

इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वालीं 1300 कंपनियां अब टैक्स आयकर विभाग के राडार पर हैं। करीब 1300 ऐसी कंपनियां जिन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए राजनीतिक पार्टियों को चंदा दिया, उन्हें टैक्स अथॉरिटीज से नोटिस मिलना शुरू हो गया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ कंपनियों को इस बाबत नोटिस मिले हैं. ये वे कंपनियां हैं electoral bond

सरकार कंपनियों को बचाने के लिए बिल में कर सकती है बदलाव

जिन्होंने चंदे में कंट्रीब्यूशन के लिए टैक्स छूट के लिए क्लेम किया था. इस रिपोर्ट के मुताबिक इन कंपनियों में बड़े-बड़े ग्रुप शामिल हैं, जिनमें कुछ प्रमुख नाम हैं- इंफोसिस, एम्बैसी ग्रुप, मेघा इंजिनियरिंग, आदित्य बिड़ला ग्रुप, जेएसडब्ल्यू स्टील, टोरेंट फार्मा, लूपिन, इन्टास, भारती एयरटेल और अलेम्बिक फार्मा. जनवरी 2018 में शुरुआत के बाद से इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम के माध्यम से राजनीतिक दलों को 16,518 करोड़ रुपये का चंदा मिला था. electoral bond

हालांकि, 15 फरवरी को देश के सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दिया, जिससे चंदा देने वाले कॉरपोरेट के बीच उनके योगदान पर टैक्स के प्रभाव को लेकर चिंता बढ़ गई। ईटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके जवाब में, कॉरपोरेट्स ने आगामी बजट में हस्तक्षेप और संभावित राहत की मांग करते हुए वित्त मंत्रालय से संपर्क किया है। माना जा रहा है कि अब सरकार इस मामले में दखल देगी और चंदा देने वाले उद्योगपतियों को राहत देने के लिए बिल में बदलाव कर सकती है।

You might also like