शहर में लिकेज के नाम पर नगर निगम में हो रहा है लाखों का लिकेज
पाइपलाइन फूटने और ठीक करने के नाम पर चला रहे हैं दो से तीन लाख की छोटी फाइलें
इंदौर। नगर निगम के घपले और घोटालें हर दिन सामने आने के बाद नगर निगम की साख को बट्टा तो लगा ही है इसी के साथ वे कर्मचारी और अधिकारी भी भ्रष्ट कहलाने लगे हैं जिन पर दाग नहीं लगे हैं। १४० करोड़ के फर्जी बिल घोटाले के अभी तक चार आरोपी जेल जा चुके हैं इनमे से एक की जमानत भी हुई है। परंतु इस बीच नगर निगम में छोटी फाइलों में होने वाले घोटालों को लेकर बड़ी जानकारी सामने आ रही है।
एक बार लिकेज के नाम पर खोदे गये गड्डों और उन्हें वापस ठीक करने के मामले में एक साथ ४६ फाइलें पकड़ी गई थी परंतु इस पर कोई विशेष कार्रवाई नहीं हो पाई थी। नगर निगम में आज भी दो से तीन लाख रुपये की वे फाइलें जिन पर कोई टेंडर नहीं होने है सबसे ज्यादा घोटाला इसी में हो रहा है। हर महीने लगभग हर झोन पर इस प्रकार की फाइलें बनती रही है। पहले भी इस मामले में भौतिक सत्यापन किए जाने के बाद भी इस प्रकार की फाइलें सामने आई थी।
नगर निगम में ताजा घोटाले के बाद अभी तक जांच के नाम पर कोई विशेष कार्रवाई प्रारंभ नहीं हो पाई है। दूसरी ओर इस मामले में ठेकेदारों पर ही दोष मढऩे की तैयारी की जा रही है। इस मामले में नगर निगम में पदस्थ रहे वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि नगर निगम में सबसे ज्यादा घोटाला छोटी फाइलों के नाम पर ही होता है क्योंकि इनका कोई भौतिक सत्यापन नहीं हो पाता है।
इसमे खासकर लिकेज के नाम पर खोदे गये गड्ढे भी शामिल है। उल्लेखनीय है कि नगर निगम में ही विवेक सिंह ने इस प्रकार के मामलों में जांच के बाद ४६ फाइलें जब्त की थी परंतु राजनैतिक दबाव के कारण यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था। सेवानिवृत्त हुए वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि धारा ५९ में आयुक्त को अधिकार है कि वह अपने अधिकार नीचे अन्य अधिकारियों को देते हैं। nagar nigam ghotala indore
इनमे वे छोटी फाइलें भी शामिल है जिनके बारे में सामान्य रुप से कोई भी जानकारी नहीं रखेेगा। अभी हुए घोटाले में व्यवस्था की खामियों का लाभ नगर निगम के निचले अधिकारियों के साथ सांठगांठ कर उठाया गया है। उन्होंने कहा की पिछले तीन सालों में जितने भी छोटे कार्य नगर निगम में किए गये हैं इनके भौतिक सत्यापन के लिए झोन स्तर पर जांच की जानी चाहिए।
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जैसे एक नंबर झोन की छोटी फाइलों की जांच आठ नंबर झोन के अधिकारियों को दी जाए और इनका भौतिक सत्यापन भी हो। छोटी फाइलों में दो से तीन लाख रुपये तक की फाइलें बहुत तेजी से बनती रही है।
नगर निगम में लिकेज ठीक करने को लेकर कई जगह आपात स्थिति में काम होना होता है। ऐसे में लंबे समय से नगर निगम में जमे हुए कर्मचारी इसका लाभ उठाते हैं क्योंकि इसका भौतिक सत्यापन नहीं हो पाता है। Nagar Nigam Scam Indore
अधिकारी ठेकेदारों को बोलकर काम शुरु करवा लेते थे
छोटी फाइलों की जानकारी अपर आयुक्त और आयुक्त तक भी नहीं होती है। इनमे से कई फाइलों में दस्तावेज भी नहीं लग पाते हैं। चूंकी नगर निगम में अभी तक कई बार अधिकारी ठेकेदारों को बोलकर काम शुरु करवा लेते थे कि इसके टेंडर बाद में हो जाएंगे इसमे कई बार प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक के कार्यक्रम शामिल रहते हैं। ऐसे में टेंडर प्रक्रिया होना संभव नहीं हो पाता है।
इस पूरे मामले के सामने के आने के बाद अब अधिकारी ऐसे किसी भी काम से खुद को सुरक्षित रखने को लेकर टेंडर प्रक्रिया में ही जाएंगे इससे कई ऐसे कार्य जो तुरंत होने चाहिए उनके लिए भी लंबा समय लगेगा।