बोरिंग का कमर्शियल उपयोग तो लगेगा शुल्क
गैरेज संचालकों पर शिकंजा कसने की तैयारी
इंदौर। शहर के आटो गैरेज संचालकों पर अब निगम शिकंजा कसने जा रहा है। वे निजी बोरिंग का कमर्शियल उपयोग करेंगे तो उन्हें शुल्क चुकाना होगा। यह शुल्क कितना होगा, इसका निर्णय आगामी मेयर इन कौंसिल की बैठक में लिया जाएगा। निगम की इस योजना के पीछे मूल उद्देश्य भूजल स्तर में बढ़ोतरी के साथ आर्थिक लाभ कमाना भी है। Fee will be charged for commercial use of boring
जलकार्य समिति के प्रभारी अभिषेक शर्मा(बबलू) ने बताया कि भीषण गर्मी में जब शहर के कई हिस्सों में जलसंकट से लोग जूझ रहे हैं। जलसंकट से निजात दिलाने निगम के साथ ही निजी टैंकरों की मदद ली जाती है। भू जलस्तर बढ़ाने महापौर पुष्यमित्र भार्गव और निगमायुक्त शिवम वर्मा लगातार वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने पर जोर दे रहे हैं। पानी की बचत के लिए लोगों में भी जागरूकता फैलाई जा रही है। जिन नलों में टोटियां नहीं थी, वहां टोटियां लगाई गई। मोटर से पानी खिंचने वालों पर भी कार्रवाई की जा रही है।
सड़क और निजी वाहन धोने वालों को भी समझाइश दी जा रही है। वहीं, दूसरी तरफ गैरेज संचालक पानी का लगातार दुरुपयोग कर आर्थिक लाभ उठा रहे हैं। शहर में 200 से अधिक आटो गैरेज ऐसे हैं, जहां रोजाना दो व चार पहिया वाहनों की धुलाई की जाती है। वाहनों की धुलाई में लाखों गैलन पानी व्यर्थ बह जाता है। धुलाई के लिए गैरेज संचालक वाहन मालिक से शुल्क वसूलता है। एक अनुमान के मुताबिक, दोपहिया वाहन की धुलाई में 1 से 2 हजार लीटर पानी का उपयोग करते हैं। Fee will be charged for commercial use of boring
पूर्व में बनी थी योजना
गैरेज संचालकों द्वारा पानी का अपव्यय करने की शिकायत पूर्व निगमायुक्त प्रतिभा पाल के समक्ष पहुंची थी, तब उन्होंने गैरेज संचालकों पर कार्रवाई के निर्देश दिए थे, लेकिन कुछ दिन कार्रवाई के बाद योजना को विराम दे दिया गया। यही कारण है कि गैरेज संचालक दोबारा मनमानी कर रहे हैं।
टैंकरों को भी भराते हैं
सूत्रों ने बताया कि कई गैरेज संचालकों द्वारा वाहनों की धुलाई के साथ निजी टैंकरों में भी पानी दिया जाता है। इसके लिए टैंकर चालकों से पैसा वसूलते हैं। यह टैंकर निर्माण कार्य वालों को महंगे दाम पर पानी सप्लाय करते हैं। कुछ अन्य लोग भी निजी बोरिंग का पानी खुले में बेचकर आर्थिक लाभ कमा रहे हैं।