गुस्ताखी माफ़- भाजपा में आ गए या लटके हुए हैं…दोनों हरल्ले नहीं गए भाजपा कार्यालय…दोनों हरल्ले नहीं गए भाजपा कार्यालय…
भाजपा में आ गए या लटके हुए हैं…
कुदा-कादी के मौसम में कांग्रेस से भाजपा में गए कई नेता अभी भी यह नहीं समझ पा रहे है कि वे भाजपा में है या नहीं पर उन्हें यह तय करना भी मुश्किल होता है कि उन्हें कार्यक्रमों में जाना चाहिए या नहीं। कुछ नेता तो ऐसे है जो आज तक भाजपा कार्यालय की सीढ़ी तो चढ़े ही नहीं वे नेताओं से भी कम ही मिले है। इसमें विपिन खुजनेरी संटू शामिल है, हालांकि वे ज्योति बाबू के सबसे करीबी नेता भी है। दूसरी और एक और नेता कमलेश खंडेलवाल के बारे में समझ नहीं आ रहा कि वे किधर है। अभी तक उन्हें भाजपा के सदस्यता नहीं मिली है। भाजपा के ही दिग्गजों का कहना है कि कमलेश खंडेलवाल पार्टी के एक लव्य है। जो अंगुठा कटवाकर घुम रहे है। हालांकि क्षेत्र क्रमांक 1 में उनका नंबर 10वें और 12वें के बाद ही आता है और यहीं स्थिति बनी रहेगी। भाजपाई कह रहे है कि वे पार्षद तक ही सीमित रहेंगे। इधर एक और नए कमलेश बन गए है अक्षय बम जिनके घर भाजपा के नेता भोजन भंडारे भी कर आए पर अभी तक उन्हें भी सदस्यता नहीं दी गई है और भविष्य में भी मिलने की संभावना अब कम ही है। दूसरी और साढ़े साती की दशा भी शुरू हो गई है, अब आने वाले समय में जिन लोगों का राजनीतिक हवन होने जा रहा है, उसमें अक्षय बम रहेंगे। देखना होगा दो और नेता जो ढोल ढमाके के साथ भाजपा में गए थे उनका क्या हो रहा है।
दोनों हरल्ले नहीं गए भाजपा कार्यालय…
लोकसभा में एक तरफा जीत हासिल करने वाले शंकर लालवानी ने नोटा को हरा कर देश में एक नया रिकार्ड कायम किया है। नोटा को लाखों वोटो से हराने वाले वे अब कई चुनाव तक अकेले ही नेता रहेंगे। हालांकि वे अभी तक यह समझ नहीं पा रहे है कि इस सब की जरूरत क्या थी। दूसरी और कांग्रेस के कई नेता जो तन से तो भाजपाई हो गए है पर अभी भी उनका कांग्रेसी मन इसे स्वीकार नहीं कर पा रहा है। लोकसभा चुनाव जीतने के बाद जब लालवानी भाजपा कार्यालय पहुंच रहे थे उस दौरान कांग्रेस से भाजपा में आए दोनो पूर्व विधायक के अलावा कुछ और नेताओं को भी फोन लगाए गए थे। सूचना के बाद भी एक भी कांग्रेसी कलचर के भाजपाई नेता भाजपा कार्यालय पर स्वागत के लिए नहीं पहुंचे। ऐसे में भाजपा में चाहते बहुत कुछ है पर भाजपाई बनना अभी तक स्वीकार नहीं हो पा रहा है। इधर, कांग्रेसियों से भाजपाई हुए इन नेताओं के चालचलन का भी संगठन पूरा ध्यान रख रहा है। समय आने पर उन्हें इसका जवाब देना भी होगा।
फिर तैयार… मिलेगी कब…
लोकसभा चुनाव में मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व में मिली शानदार जीत के बाद अब मध्यप्रदेश का कद देश में ऊंचा हो गया है। इसी के साथ लंबे समय से अपनी राजनीतिक वापसी का इंतजार कर रहे नेताओं की नजरे निगम मंडलों पर आकर टिक रही है। इंदौर में ही 8 से अधिक नेता इस कतार में लगे हुए है, वहीं कांग्रेस से भाजपा में आए दो नेता दिल्ली तक अपनी जमावट शुरू कर चुके है। एक तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी तक पहुंच गए है और उन्हें इंदौर भी लेकर आ चुके है। अपनी ताकत भी बता दी है। एक और है जो मान कर चल रहे है कि नियुक्तियों के दौर में उनका नंबर जल्द आ जाएगा। वहीं कई ऐसे भी जिनके भाग से अभी तक चिका नहीं टूटा है। पिछले 10 वर्षो वे केवल इसी का इंतजार कर रहे है। देखना होगा मुख्यमंत्री जी की प्राथमिकता में कौन-कौन है।