Land Mafia: नये मास्टर प्लान में ग्रीन बेल्ट को लेकर बड़ा खेल करने की तैयारी
सैकड़ों एकड़ जमीन आवासीय में बदलेगी, 79 गांव में डायरियों पर बिकी कई कॉलोनियां उलझी
इंदौर। एक ओर जहां इंदौर के मास्टर प्लान पर सबकी नजरे लगी है दूसरी ओर इस बार के मास्टर प्लान में ग्रीन बेल्ट की जमीनें निकाले जाने को लेकर बाजार में बड़ा खेल शुरु हो गया है। पिछले दिनों ७९ गांव की जमीनों पर डायरियों पर काटी गई कॉलोनियां लंबे समय से उलझी पड़ी हुई है इन जमीनों के सौदागरों ने मास्टर प्लान न आने के बीच धारा १६ का लाभ लेते हुए दस एकड़ और उससे ज्यादा की जमीनों को कॉलोनियों के रुप में निकालने में सफलता हासिल कर ली थी परंतु इस बीच चल रहे खेल में उस वक्त पेंच आ गया जब मुख्यमंत्री ने इस प्रकार से अनुमति देने के मामले में रोक लगा दी। इससे अब डायरियों पर बेची गई कई कॉलोनियां नये मास्टर प्लान के आने तक उलझ गई है। शहर के कई दलाल इस मास्टर प्लान को इस बार मनी प्लान बनाने में जुट गये हैं। नये मास्टर प्लान में कई अधिनियम इस बार धरे रह जाएंगे।
इंदौर के मास्टर प्लान की मियाद खत्म हुए दो साल हो चुके हैं १ जनवरी २००८ को इंदौर का मास्टर प्लान २०२१ लागू किया गया था। १३ साल के लिए बने मास्टर प्लान में डाली गई योजनाओं का ८० फीसदी भाग भी लागू नहीं हो पाया शहर में ना तो सिटी फारेस्ट बने और ना ही बड़े मार्ग पूरी हो पाए अब नये मास्टर प्लान को लागू करने के लिए फिर से कवायद शुरु हुई है परंतु इस मास्टर प्लान के आने के पहले ही ग्रीन बेल्ट की जमीनों को बाहर निकाले जाने को लेकर बड़ा खेल शुरु हो गया है। शहर में ग्रीन बेल्ट में फंसी यह जमीने बेल्ट से बाहर आते ही करोड़ों रुपये की हो रही है। इधर पुराने मास्टर प्लान के तीन रोड़ एमआर-३, एमआर-११ और एमआर-१२ आज भी अधूरे ही पड़े हुए हैं। इस मास्टर प्लान में दस से ज्यादा नये गार्डन बनना थे और एक नया ट्रेचिंग ग्राउंड भी बनाया जाना था परंतु यह सब पुराने मास्टर प्लान के साथ ही रसातल में चला गया।
नया मास्टर प्लान में शहर की सीमा से जुड़े ७९ गांव जोड़े गये हैं इसका ऐलान टाउन एंड कंट्री ने दो साल पहले कर दिया था इसके बाद इन गांव में निर्माण को लेकर और नई कॉलोनियों को लेकर रोक लगा दी गई थी। यहां पर ग्रामीण क्षेत्र के हिसाब से शहर के जमीन के खिलाडिय़ों ने कालोनी का नक्शा बनाकर डायरियों पर भूखंड बेच रखे हैं। अब मास्टर प्लान में इन सभी गांवों के शामिल होने के बाद यहां के नक्शों में पेंच आ गया है। इधर पिछले दिनों शहर के बिल्डरों के एक समूह ने विभागीय मंत्री और प्रमुख सचिव से चर्चा करने के बाद आवासीय क्षेत्र में दस एकड़ से ज्यादा के नक्शे स्वीकृत करने के लिए सहमति बना ली थी।
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इन नक्शों के पास होने में चार लाख रुपये एकड़ से शुरु हुई रिश्वत बाद में बढ़कर दस लाख रुपये एकड़ तक पहुंच गई है। इस बीच जमीन के दो खिलाडिय़ों ने करोड़ों की रिश्वत देकर अपने प्रोजेक्ट निकाले ही थे कि इसकी भनक मुख्यमंत्री को लगी और उन्होंने अब सभी ७९ गांवों में धारा १६ के तहत दी जा रही कॉलोनियों की अनुमति को तत्काल रोक दिया है। दूसरी ओर इसके चलते कई जमीन मालिकों के लाखों रुपये भोपाल में उलझ गये।
तीन खिलाड़ी ६० एकड़ जमीन निकाल लाए
इंदौर के तीन जमीन कारोबारी अपनी जमीनें पहले चरण में ही कॉलोनियों के लिए बिना किसी ज्यादा जानकारी और पूछताछ के निकाल लाए इसमे भरत जैन की दो कॉलोनियां, आशीष गोयल की दो कॉलोनियां, और अरुण जैन (हाईवे) की एक कॉलोनी निकल चुकी है। हालांकि इस मामले में भी अब मुख्यमंत्री को नये सिरे से शिकायत की जा रही है कि इनकी अनुमति भी वापस रोकी जाए। इन सभी ने डायरियों पर भूखंड बेच रखे हैं। जिन्हें अब वापस नये सिरे से छोटा कर देने की तैयारी की जा रही है।
ग्रीन बेल्ट का खेल
मास्टर प्लान में इस बार शहर के ग्रीन बेल्ट को आवासीय बेल्ट में बदलने को लेकर कवायद की जा रही है शहरी सीमा में शामिल ग्रीन बेल्ट को अब और बाहर निकाला जाएगा इसमे उज्जैन रोड़ पर रेवती रेंज, लिंबोदी गारी, सुपर कोरिडोर पर टिगरिया बादशाह के अलावा बिजलपुर, बिसनावदा और बुड़ानिया शामिल है। ग्रीन बेल्ट से मुक्त होते ही यह जमीनें करोड़ों रुपये एकड़ की होने जा रही है। जब मास्टर प्लान आये तब इसे देखा जा सकता है।