इंदौर में भाजपा का दाव पड़ा उल्टा नोटा बना गले की हड्डी..

पटवारी को गृह जिले में घेरने की भाजपा की कोशिश नाकाम रही..

इंदौर। लोकसभा चुनाव की बात करें तो इस बार परिस्थिति और रणनीति दोनों बदली हुई थी 2019 के वनस्पत 2024 का यह चुनाव और ज्यादा आक्रामक और नए मुद्दों पर हुआ भारतीय जनता पार्टी मोदी की गारंटी की बात कर रही है तो वही राम मंदिर, धारा 370, सी ए ए के साथ मोदी की ग्यारंटी जैसे चुनावी मुद्दों को लेकर मैदान में थी वही भाजपा के जवाब में तीन माह पूर्व 5 दिसंबर को मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष का दायित्व संभालते हुए जीतू पटवारी अपने कुशल संगठनात्मक कौशल के साथ कांग्रेस द्वारा दी जा रही 25 न्याय गारंटी की योजनाओं, एलक्ट्रोल बॉन्ड,प्रदेश मे व्याप्त भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, महंगाई,महिला असुरक्षा और प्रदेश मे बिगड़ती क़ानून व्यवस्था जैसे ज्वलनशील मुद्दों के साथ भाजपा पर आक्रामक होते हुए प्रदेश के हर वर्ग के मतदाताओं तक पहुंचाने का प्रयास लगातार कर मैदान में जुटे रहे हैं। कांग्रेस ने इस बार 2009 की चुनावी रणनीति के साथ अपनी मजबूत सीटों पर फोकस किया जिसके चलते कांग्रेस 29 लोकसभा मे से 10 सीटों को कांटे के मुकाबले पर ले आई।

भाजपा ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को तोडऩे के हर वह संभव प्रयास किए जो वह कर सकती थी। परंतु जीतू पटवारी ने भी इस चुनाव में कमरकस भाजपा के हर हमले का जवाब बड़ी चतुराई के साथ दिया। भाजपा लगातार जीतू पटवारी को इंदौर जिले में घेरने का प्रयास करती रही। इंदौर से कांग्रेस प्रत्याशी रहे अक्षय कांति बम द्वारा अंतिम समय में अपना नामांकन वापस लेने और भाजपा मे शामिल होने के बाद कांग्रेस को बीच में मझधार में छोड़ दिया था।

इसके जवाब में कांग्रेस ने भाजपा पर लोकतंत्र की चोरी का आरोप लगाते हुए इंदौर शहर की जनता से नोटा पर मतदान कर अपना प्रतीकात्मक विरोध दर्ज करवाने की अपील की। इससे कांग्रेस का वोट बैंक बिखरने से बच गया। इस अपील से कांग्रेस के मतदाताओं को एक विकल्प मिल गया तो वही अब इंदौर का नाम नोटा पर सर्वाधिक मतदान के लिए पूरे देश में जाना जाएगा कांग्रेस दावा कर रही है की 3 लाख से अधिक मतदान नोटा पर हुआ है अगर ऐसा होता है तो यह अपने आप मे एक नया रिकॉर्ड होगा। कांग्रेस के जवाबी हमले का भाजपा के पास कोई उत्तर नहीं था।

इन सीटों पर कांग्रेस दे रही है भाजपा को कांटे की टक्कर…

छिंदवाड़ा, राजगढ़, धार, रतलाम, सतना, रीवा, मंडला, नर्मदा पुरम, मुरैना, भिंड, सीधी, खरगोन, शहडोल,सहित अन्य सीटों पर इस समय कांटे का मुकाबला बना हुआ है। पिछले लोकसभा चुनाव के वनिस्पद इस चुनाव मे हुए कम मतदान ने भाजपा माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी है,चार चरणों के साथ म. प्र मे मतदान खत्म हो चूका है अब दोनों ही दल के कार्यकर्ताओ को 4 जून का इंतजार है।

पूरी बीजेपी कमलनाथ को छिंदवाड़ा में घेरती रही वही जीतू पटवारी ने गुना और विदिशा में जो बिसात बिछाई जिससे पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया नामांकन भरने के बाद से मतदान के दिन तक अपनी सीटों से बाहर निकल कर नहीं आ सके। गुना की बात करें यादव मुस्लिम गठजोड़ सफल रहा तो सिंधिया जी के लिए जीत की डगर कठिन हो जाएगी।

29 जीरो का लक्ष्य अब मध्य प्रदेश में आसान नही

जीतू पटवारी ने लोकसभा चुनाव मे प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेताओं को विश्वास में लेते हुए जिस तरह 29 लोकसभा मे प्रत्याशियों का चयन किया गया जिसमे नए चेहरों को मौका देते हुए जातिगत एवं सामाजिक समीकरणों का भी पूरा ध्यान रखते हुए भाजपा को भी एहसास कर दिया है कि उनका 29 जीरो का लक्ष्य अब मध्य प्रदेश में आसान नहीं है और कई सीटों पर मुकाबला काटे का कर दिया । मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को जिस तरह यह चुनाव बहुत आसान लग रहा था अब एक कठिन चुनौती उनको भी नजर आ रही है।

कांग्रेस मध्य प्रदेश में बराबरी पर खड़ी

प्रत्याशी चयन को लेकर जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी में मची उथल-पुथल और असंतोष पनपा था वही कांग्रेस में घोषित प्रत्याशियों को कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ वरिष्ठ नेताओं का पूर्ण सहयोग मिल रहा है,दबी जुबान में भाजपा के नेता भी कह रहा है कि इस बार कांग्रेस ने मुकाबला कांटे का कर दिया है। कई सर्वे एजेंसी भी इस बात की पुष्टि कर रही है कि मध्य प्रदेश की 15 सीटों पर 5 प्रतिशत वोट भी बदलाव के पक्ष में गिरता है तो परिणाम के बाद कांग्रेस मध्य प्रदेश में बराबरी पर खड़ी होगी। यही बात राहुल गांधी अपनी रैलियों मे कह रहे है की 15-20 दिन पहले मुझे लग रहा था भाजपा 180 सीटों तक जाएगी, पर अब ज़मीनी रिपोट्र्स बता रही हैं कि वो 150 से भी आगे नहीं बढऩे वाले। ्र गठबंधन मज़बूती से चुनाव लड़ रहा है और म. प्र की 15 सीटों पर कांग्रेस के पक्ष में जबरदस्त अंडरकरेंट है।

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