तमाशाबीनों ने मतदाता को तमाशा बना दिया…
इंदौर शहर का मतदाता राजनीति में छलनीति के चलते इस चुनाव में शायद खाली हाथ रह जाएगा। कांग्रेस और भाजपा के बीच जोड़-तोड़ की राजनीति ने इस शहर के 27 लाख मतदाताओं से उनके मत का अधिकार छीन लिया है। सवाल उठ रहा है कि इस छलकपट और जोड़-तोड़ की राजनीति के बीच कहीं राजनेताओं का कोई चरित्र भी बचा है या नहीं? पिछले दो दिनों में शहर का राजनीतिक मिजाज जिस तरीके से बदला गया वह चाहे भाजपा के देव दुर्लभ कार्यकर्ता हो या फिर कांग्रेस के संघर्ष कर रहे कार्यकर्ता हो। दोनों की ही संवेदनाएं बिखर गई है। उन्हें लग रहा है कि शहर की राजनीति अब क्या कांग्रेस और भाजपा के उन मुट्ठी भर नेताओं के पास सिमट गई है, जो अपने खेल के चलते कार्यकर्ताओं के संघर्ष पर विश्वास नहीं कर रहे है। पिछले 30 सालों में इस प्रकार की परंपरा से कभी शहर के दोनों ही दलों के कार्यकर्ताओं का पाला नहीं पड़ा। मैदानी लड़ाई जीतकर भी उन्होंने अपने सम्मान को दोगुना करना में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी। राजनीति में जीत-हार अपनी जगह होती है पर सबसे बड़ी बात इस देश के लोकतंत्र को लेकर पूरे विश्व में लिखी उस इबारत को भी सबसे ऊपर रखा जाता है क्योंकि भारत में ही विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र का ग्रंथ लिखा गया है। ऐसे में अब सवाल उठता है कि शहर की 27 लाख मतदाताओं की आबादी इसे चुपचाप देखती रहेगी या वह इस बार कुछ ओर भी सोचेगी। शहर का सबसे छोटा और गरीब मतदाता केवल पांच साल में इसी समय का इंतजार करता है, जब वह अपने फैसले को मतदान के माध्यम से बताता है। परन्तु अब लग रहा है कि शहर में नई राजनीति के नई इबारत कुछ इसी प्रकार लिखी जाएगी कि भविष्य में मतदाता अपने राजनेता पर कितना भरोसा करें? भाजपा के कार्यकर्ता भी यह सोचने को मजबूर हो रहे है कि क्या वाकई यह वही दल है जिसका नाम आने पर गर्व से कहा जा सकता था कि इसका चाल चरित्र चेहरा भले ही विपरीत परिस्थिति हो कभी बदला नहीं है। एक वोट से सरकार को ठोकर मार देने वाली भारतीय जनता पार्टी में अब इस प्रकार की राजनीति भी देखी जाएगी जिसमें भ्रष्ट अपराधी और अपना कारोबार बचाने वाले उन ईमानदार कार्यकर्ताओं के ऊपर राजनीति करेंगे, जिनके कारनामों को दिखाकर ही उन्होंने भाजपा को शिखर पर पहुंचाया। शहर के नागरिकों को भी सोचना होगा कि क्या वे सब होता हुआ देखेंगे या एक बार फिर नए सिरे से इस शहर की राजनीति को इस प्रकार के नेताओं से बचाने का प्रयास भी करेंगे।