फर्जी नामों से ले रहे है मेले की अनुमति, न ही सुरक्षा का इंतजाम, शासन को भी लगा रहे है लाखों का चूना
उच्च न्यायालय ने भी इस मामले में नोटिस जारी किए, विधायक भी उलझे
इंदौर। शहर में नजूल और इंदौर विकास प्राधिकरण की जमीनों पर लगाये जाने वाले मेलों को लेकर बड़ा फर्जीवाड़ा चल रहा है। इस फर्जीवाड़े में जहां शासन को करोड़ों रुपये का चूना राजस्व का लग रहा है वहीं लोगों के जीवन से भी खिलवाड़ हो रहा है। अगर इन मेलों में कोई हादसा होता है तो जवाबदारी ही तय नहीं हो पायेगी। इस मामले में उच्च न्यायालय ने नोटिस जारी किए और अब नोटिस जारी किए जाने के बाद विधायक भी उलझ गए है।
शहर में दशहरा मैदान, विजयनगर और महालक्ष्मी नगर के मैदानों पर लगातार मेले लगाये जाते हैं। इनके लगाने वाले फर्जी लेटरपेड बनाकर धोखाधड़ी करते रहते हैं। इसमे पिछले दिनों इंदौर विकास प्राधिकरण की जमीन पर लगाये गये मेले में ४२ लाख रुपये का चूना मेला संचालक लगाकर लापता हो गया। यह पैसा प्राधिकरण वसूल नहीं कर पाया। अब यही व्यक्ति जिसे प्राधिकरण ने अपने यहां ब्लेकलिस्टेड कर रखा है दशहरा मैदान पर अपने मेले का संचालन माँ कनकेश्वरी देवी महोत्सव मेला एवं प्रदर्शनी के नाम से अनुमति ले चुका है। इसी मैदान पर पिछली बार लगाये गये मेले में बड़ा हादसा हुआ था जिसमे करंट लगने से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कुछ लोग घायल हो गये थे। इनमे से आज तक मृतक के परिवार को कोई मुआवजा नहीं दिया गया है। अब सवाल उठता है कि इस मेले में कोई हादसा हो गया तो इसकी जवाबदारी किसकी होगी। अभी लगाये गये लेटरपेड में संरक्षक क्षेत्र क्रमांक २ के विधायक रमेश मेंदोला को बताया गया है। जबकि उनका कहना है कि इस मेले से उनका कोई संबंध नहीं है।
दशहरा मैदान पर मेले और प्रदर्शनी लगाने के लिए नजूल की भूमि के आवंटन को लेकर लंबे समय से लाखों रुपये का खेल चल रहा है। यहां पर मेला जितनी जगह पर लगाया जाता है। उससे आधी जगह की ही अनुमति कागजों पर दिखाई जाती है। साथ ही मेले की अवधि को लेकर भी बड़ा खेल तहसीलदार के कार्यालय से किया जाता है। इस बार दशहरा मैदान पर मेला लगाने को लेकर जिस व्यक्ति ने कनकेश्वरी देवी महोत्सव मेला एवं प्रदर्शनी को लेकर अनुमति मांगी है उसमे संरक्षक रमेश मेंदोला को बताया गया है इसका पता मूसाखेड़ी मेनरोड़ पर है लेटरपेट पर कहीं पर भी बताये गये पते को लेकर कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। जिस जगह पता बताया गया है वहां पर खाली मैदान पड़ा हुआ है इस मेले के लिए ६२५०० वर्गफीट की जगह किराये पर मांगी गई थी जबकि मेला एक लाख वर्गफीट पर लगा हुआ है यानी हर दिन लगभग ३५ हजार रुपये का नुकसान यहां सरकार को कराया जा रहा है वहीं ४० दिन चलने वाले इस मेले से १० लाख रुपये से ज्यादा की आय तहसीलदार से लेकर आसपास के सभी अधिकारियों की हो रही है।
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