मंदी का आंकलन : अंडरवियर की सेल 50 प्रतिशत गिरी

महंगाई और आय तय करती है बाजार का भविष्य

Recession assessment: underwear sales fell by 50 percent

मुंबई (ब्यूरो)। अमरिकी इंडेक्स के आधार पर किसी भी देश में अंडर गारमेंट्स यानी चड्डी-बनियान के बिकने पर भी देश की आने वाली अर्थव्यवस्था के संकेत मिलते हैं। महंगाई और खरीदारी पर सबसे ज्यादा प्रभाव यहीं देखा जाता है।

भारत में दिसंबर की तिमाही में आए आंकड़े बता रहे हैं कि अंडर गारमेंट्स की बिक्री 55 प्रतिशत तक कम हो गई है। इसके चलते रूपा, जॉकी, लक्स, डॉलर के शेयरों में अच्छी खासी गिरावट आ गई है। यह बाजार के लिए खराब संकेत माना जाता है।

देश में विकास की रफ्तार के कई बिंदू होते हैं। इसमें लिपिस्टिक इंडेक्स से लेकर अंडर वियर इंडेक्स तक का अध्ययन होता है। जैसे शेयर बाजार में तमाम संभावनाएं शेयरों के कारोबार पर टिकी होती है। ऐसे ही अंडर वियर की सेल गिरने को भी बाजार के लिए संकेत माना जाता है।

कहा जाता है यदि कोई व्यक्ति यह देखे कि उसने कब अंडर वियर खरीदी है तो महीनों पहले ध्यान जाएगा, क्योंकि सुविधाओं के नाम पर यह सबसे आखिरी वस्तु होती है। underwear sales fell by 50 percent

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महंगाई और खरीदने की क्षमता पर असर आने के बाद यह बताता है कि खरीदी की क्षमता तेजी से कम हो रही है। इसी के साथ मौजे की बिक्री पर भी बुरा असर आया है, जो अर्थशास्त्रियों के अनुसार बाजार को लेकर खराब संकेत भी हैं।

अंडर वियर कंपनियों की सेल लगातार दूसरी तिमाही में भी गिर रही है। इसके चलते सबसे ज्यादा कारोबार करने वाली जोकी कंपनी के शेयरों में 7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।

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फेडरल रिजर्व अमेरिका के चीफ का कहना है कि यह बता रहा है कि आने वाले समय में अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट के संकेत रहेंगे। बाजार में जब आय के साधन बढ़ते हैं तब ही खरीदा का नया बाजार शुरू होता है। इसमें लिपिस्टिक इंडेक्स से लेकर गारमेंट्स इंडेक्स तक संकेत देता है। हालांकि आर्थिक मंदी के लिए और भी इंडेक्स जांचे जाते हैं, पर यह एक संकेत देता है।

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