इंदौर। एक समय था जब प्रदेश में 40 लोकसभा और 320 विधानसभा होती थी। उस समय पर मोघे भाजपा के संगठन महामंत्री थे। वे सांसद व विधायकों के टिकट तय करते थे। देखा जाए तो वे अविभाज्य मध्यप्रदेश के आखिरी संगठन महामंत्री रहे। उसके बाद छत्तीसगढ़ अलग हो गया था। भाजपा के वरिष्ठ नेता कृष्णमुरारी मोघे जिन्होंने भाजपा को प्रदेश में शुन्य से शिखर तक पहुंचाया। मगर पिछले कई सालों से भाजपा ने उन्हें शिखर से शून्य पर लाकर छोड़ दिया। मोघे की संगठन क्षमता को लेकर मुख्यमंत्री तक कायल हैं। पिछले दिनों सोशल मीडिया पर उनका एक इंटरव्यू खूब वायरल हो रहा हैं, जिसमें उनकी व्यथा वह खुद बयां कर रहे हैं।
एक मुलाकात के दौरान उन्होने कहा कि प्रदेश में जो जनआर्शीवाद यात्रा निकल रही हैं उसकी उन्हें कोई जानकारी तक नहीं दी गई। विधानसभा चुनाव सर पर हैं और ऐसे वरिष्ठ नेता की अनदेखी से वह अंदर ही अंदर टूट गए हैं। स्व. कुशाभाऊ ठाकरे ने संगठन की जो विधा रखी थी उसका मूलमंत्र था मैन-टू-मैन डोर-टू-डोर एक एक व्यक्ति से संपर्क और उस व्यक्ति की ताकत को समझ कर उसके अनुरुप उसको काम देना था। मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि जिस विधा को लेकर उन्होने मध्य प्रदेश के अंदर जो काम खड़ा किया था उस विधा का आज स्मरण नहीं हो रहा हैं। उसका ही हम परिणाम देख रहे हैं, कहीं न कहीं उस रूप का ही परिणाम हैं। उसी से जुड़ी हुई यह बाते हैं कि व्यक्ति का अपना एक महत्व होता हैं। यह बात ठीक हैं कि व्यक्ति को भी महत्व संगठन के कारण ही मिलता हैं। दोनों परस्पर एक दूसरे के पूरक हैं। संगठन व्यक्ति के कारण हैं और व्यक्ति संगठन के कारण हैं। किन्तु आज जो व्यक्ति की चिंता की जानी चाहिए वो विधा जिसकी सुझबुझ के साथ में ठाकरे जी ने प्रारंभ की थी,वो आज हमें दिखाई नहीं देती। शहर के पूर्व महापौर का कहना हैं कि आज भी बहुत अधिक तादाद में पार्टी के कार्यकर्ता उनके पास आते हैं। मैं आज भी संगठन की क्रिया कलापों से दूर नहीं हुं। आज से 6 माह पूर्व जो परिस्थिति बनने वाली हैं उसको लेकर मैं पिछले दिनों दिल्ली गया हुआ था, वहां मैं चार पांच दिनों तक रुक कर 15 अलग अलग लोगों से बातचीत की। रीति-नीति पर जो कार्य चल रहे हैं उसके परिणाम आने वाले समय में ठीक नहीें होंगे इससे उन्हें आगाह भी किया था। आज जो प्रभारी बने हैं मध्य प्रदेश के नरेन्द्र सिंह तोमर उनसे मेरी लंबी बातचीत हुई। उस दिन उनके यहां बहुंत भीड़ थी, मैं इस बीच दो बार उठा मगर उन्हो्ेंने मुझे रोककर यही कहा कि इस स्थिति का हमें डट कर मुकाबला करना चाहिए। यह स्थिति नहीं बने इसकी कार्ययोजना आज से ही बनाना चाहिए। इसलिए मैने यह सारी बातें 6 माह पूर्व सबको बताना प्रारंभ की, और पिछली 14 जून को शिवराज सिंह से भी चर्चा हुई हैं और मैने उनको भी इशारे इशारे में यह बात कहीं। उन्होने कहा कि इस मामले में आपके साथ बैठेंगे, लंबी चर्चा करेंगे, इस विषय में क्या करना चाहिए, इसका विचार करेंगे। परन्तु इसके बाद शिवराजसिंह जी ने मुझे समय ही नहीं दिया ओर न ही बुलाया। इसलिए आज जो कुछ भी दिखाई दे रहा हैं, जिसका उल्लेख किया जा रहा हैं कि लोग जा रहे हैं जिसकी चिंता होनी चाहिए उसकी कहीं न कहीं कमी रही हैं। ऐसा में संगठन की तरफ से मानता हूं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के बारे में उनका कहना हैं कि सिंधिया जो आएं हैं वह तो बहुत छोटा मुवमेंट हैं। इसके पहले 67 में जब राजमाता सिंधिया जी आई थी, तो केवल मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि देश भर के तमाम लोग भारतीय जनता पार्टी व भारतीय जनसंघ से जुड़े थे। मगर हमारी संगठन की क्षमता व शक्ति इतनी जबरजस्त थी कि उसका कोई भी बूरा प्रभाव पार्टी के उपर नहीं पड़ा। आज जो लोग आए मैं मानता हूं कि ज्योतिरादित्य आए उनके कारण सरकार बनी उनका धन्यवाद देता हूं। मगर आने वाले लोगों को समरसता के साथ पार्टी के साथ में जोडऩा यह काम ज्योतिरादित्य का नहीं हमारा था। हम उसको नहीं कर पाए जिसका यह परिणाम दिखाई देता हैं ओर मेरी भी उनमें से कई लोगों से बातचीत हुई हैं। मैं समझता हूं कि अगर थोडी उदारता के साथ सामान्यजस बैठाने के साथ संगठन काम करता तो यह चित्र जो आज दिखाई दे रहा हैं वह दिखाई नहीं देता। यह जो परिस्थिति बनी हैं लोग जा रहे हैं इसकी वेदना निश्चित रुप से मुझे हैं, और उस वेदना का उपचार हैं, कि अगर ये चीज हो रही हैं तो आज प्रदेश संगठन का यह काम हैं कि ऐसे पूराने-पूराने लोगो को बुलाकर जिनका प्रभाव हैं जो चर्चा कर सकते हैं, उनको यह जवाबदारी देना चाहिए। बीच में इसका एक बार प्रयास हुआ कि कुछ जिलों के अंदर हमें भेजा था, इसमें मुझे चार जिले दिए थे। उन जिलों के अंदर सारे वरिष्ठ लोगों से मिलकर बातचीत कर उनकी जो मानसिकता थी, उनकी जो समस्या थी उसे मैने प्रदेश को अवगत कराया था। किन्तु ऐसा कहने में मुझे कोई दिक्कत नहीं है कि वो केवल एक उपचारिकता रही उनके सामने जो कुछ भी हमने परिस्थितियों को रखा था उसके उपर आगे जो काम होना चाहिए था वो काम संगठन ने नहीं किया। यही कारण हैं कि आज वह परिस्थितियां आगे बढ़ गई। आज भी मेरा आग्रह हैं कि भारतीय जनता पार्टी का जो कार्यकर्ता हैं उसकी जो निष्ठा हैं अगर उसको टोकने का काम किया जाए ये इसमें देखना होगा कि कौन-किससे बात करके उसे ठीक कर सकता हैं, हरेक ये काम करेंगा यह संभव नहीं हैं किन्तु उस बारे में अगर प्रदेश संगठन चिंता करे तो निश्चित रुप से इस चीज को रोका जा सकता हैं।
मध्य प्रदेश के अंदर भारतीय जनता पार्टी फली-फूली ओर बड़ी। आज हम जिस स्थिति के अंदर हैं ये किसी एक नेता के कारण नहीं हैं। यहां पर सामान्य कार्यकर्ता का जो वर्किंग रहा उसने नीचे तक संगठन की जड़ों को पहुंचाया हैं। आज उस ट्रेंड कि ये चिंता नहीं हो रही, और इसलिए अब ऊपर से जितने भी लोग भेज दें जब तक कि आप यहां का जो मूल कार्यकर्ता हैं जिसने काम खड़ा किया हैं, जिसके साथ में लोगो का समर्थन हैं जिसके कार्यकर्ताओं के बीच में साख हैं। ऐसे लोगों को आपको खड़ा करना होगा। बाहरी लोग ये सहयोग हो सकते हैं। किन्तु परिस्थितियों को ठीक करने और ये सारा मामला ठीक कर लेंगे, क्योंकि उनके संबंध नहीं हैं, और ये सारे काम होते हैं व्यक्तिगत संबंध के आधार पर, और संगठन को सुझाव हैं इसलिए उस विधा को हम तोड़ेंगे तो यह परिणाम जो आज दिखाई दे रहे हैं यही होंगे।