इंदौर। उच्चतम न्यायालय की स्टेटस रिपोर्ट के आधार पर उच्च न्यायालय द्वारा बनाई गई कमेटी के बीस पृष्ठों की रिपोर्ट में सेटेलाइट हिल्स को लेकर जो जानकारी उच्च न्यायालय को दी गई है इसमे सेटेलाइट हिल्स में अब कोई प्रकरण विचाराधीन नहीं बचा है। इस कॉलोनी में जितने भी प्लाट होल्डर रजिस्ट्री करवा चुके थे उन्हें कलेक्टर द्वारा कब्जे दिला दिये गये हैं वहीं जो बचे हुए विवाद थे वह कमेटी के समक्ष निराकृत हो गये। इस प्रकार १०९ प्लाटों को लेकर जो विवाद चल रहे थे उनके निराकरण में कमेटी की अहम भूमिका रही। २००७ में सेटेलाइट हिल्स का निर्माण कर प्लाट काटे गये थे। १७ साल बाद भूखंड पीड़ितों को प्रशासन, उच्च न्यायालय और कमेटी के प्रयास से अपने प्लाटों पर कब्जा मिल गया। अब यहां पर ग्यारह प्लाटों का मामला अंबिका साल्वेस के मालिक केसी गर्ग को करना शेष है।
शहर की तीन सबसे ज्यादा विवादास्पद टाउनशिपों को लेकर उच्च न्यायालय द्वारा बनाई कमेटी की सुनवाई के बाद उच्चन्यायालय के पोर्टल पर डाली गई बीस पृष्ठों की रिपोर्ट के दूसरे भाग में सेटेलाइट हिल्स को लेकर जानकारी दी गई है। सुनवाई के लिए बनाई गई कमेटी के मुखिया सेवानिवृत्त न्यायाधीश आईएस श्रीवास्तव थे जिन्होंने लगातार साढ़े तीन माह सुनवाई कर भूखंड पीड़ितों को उनके भूखंड दिलाने में अहम भूमिका निभाई। उच्चतम न्यायालय की स्टेटस रिपोर्ट में रितेश चंपू अजमेरा को ७१ प्लाट के निराकरण किये जाने के लिए निर्देशित किया गया था। इसमे से ५२ भूखंडों पर जिलाधीश द्वारा कब्जे तक दिलाये जा चुके हैं। ११ प्लाट शेष हैं इन प्लाटों के नंबरों में संशोधन किया जाना है इसके बाद यह प्रकरण भी निराकृत हो जाएंगे। इन प्लाटों का निराकरण अंबिका साल्वेस के मालिक और सेटेलाइट हिल्स में हिस्सेदार रहे केसी गर्ग को करना था उन्होंने अभी तक इनका निराकरण कमेटी के बार बार कहने के बाद भी नहीं कराया है।
इस दौरान एक बार कब्जा दिये जाने को लेकर कमेटी द्वारा जब पूछा गया तो केसी गर्ग कमेटी के समक्ष ही अभद्र व्यवहार करते हुए वहां पर मौजूद रितेश अजमेरा को मारने के लिए दौड़ पड़े थे। पुलिस के हस्तक्षेप से मामला सुलझा इस दौरान सेवानिवृत्त जज आईएस श्रीवास्तव को यह कहना पड़ा इस आदमी का मानसिक संतुलन ठीक नहीं है। इसके अलावा सेटेलाइन हिल्स में २२ प्रकरण रसीद वाले थे जिनमे से सात का निराकरण हो चुका है। पंद्रह प्रकरणों का निराकरण मोहन चुग और कैलाशचंद्र गर्ग को करना है इसके लिए कमेटी में अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट कर दिया है। केसी गर्ग २०११ में इसी कॉलोनी की जमीन पर नियमों के विपरित जाकर यूको बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और कार्पोरेट बैंक से ११० करोड़ का कर्ज ले चुके हैं। इसलिए यहां पर प्लाटों का निराकरण बैंक की आपत्ति के कारण नहीं हो पा रहा है। यह सभी प्रकरण अब केसी गर्ग और मोहन चुघ द्वारा निराकृत किये जाएंगे। सेटेलाइट हिल्स को लेकर कमेटी ने अब रितेश अजमेरा को पूरी तरह से प्लाटों के निराकरण के मामले में मुक्त कर दिया है।
रितेश अजमेरा को अब सेटेलाइट हिल्स में किसी भी भूखंड के कब्जे देने अथवा रजिस्ट्री किये जाने को लेकर प्रकरण विचाराधीन नहीं है। इधर सुनवाई के दौरान पंद्रह ऐसे प्रकरण भी आये थे जिनमे अधूरे पैसे भरे गये थे। इन प्रकरणों का निराकरण भी अब मोहन चुघ और केसी गर्ग को ही निपटाना है। कमेटी की सेटेलाइट हिल्स को लेकर यह बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। कमेटी के समक्ष चार और रजिस्ट्रीयां पेश हुई थी जिनके प्रकरण नंबर १५३, १५४, १५५ और २२९ नंबर बताये गये हैं।
कमेटी ने इन सभी रजिस्ट्रियों को पूरी तरह गलत मानते हुए निरस्त करने की प्रक्रिया अपनाई है। इस मामले में तेजाजी नगर थाने से पूर्व में दर्ज हुए प्रकरण में सुरेश चोपड़ा और अमित टोंग्या की जानकारी भी पृष्ठ क्रमांक ९ पर दर्शायी गई है। कुल ३१ रजिस्ट्री के प्रकरण बताये गये हैं हालांकि इस मामले में पहले ही प्रकरण दर्ज किया जा चुका है। सेटेलाइट हिल्स के भूखंड पीड़ितों ने कमेटी द्वारा की गई सुनवाई और उनको मिले अधिकार के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश आईएस श्रीवास्तव के प्रति आभार भी माना है। प्लाट होल्डरों ने यह भी कहा कि मनीष सिंह के कार्यकाल में यदि कार्रवाई नहीं होती तो शायद हमें भूखंड नहीं मिल पाते।