Land Mafia Indore: अरुण मामा के साथ दीपक मद्दा एक हजार करोड़ की जमीन में हिस्सेदार
करतार गृहनिर्माण में सदस्यों के साथ हुई जालसाजी की फाईल खुलेगी
इंदौर।
एक ओर जहां शहर के भूमाफियाओं से न्याय मिलने की उम्मीद पर सैकड़ों लोग अदालत के द्वार पर संघर्ष कर रहे हैं तो दूसरी ओर शहर के कुछ ऐसे भूमाफिया भी है जिन्होंने गृहनिर्माण संस्था में बड़ी जालसाजी तो की पर व्यवस्था के कारण वे जेल जाने से बचे रहे। अब ईडी की धरपकड़ और पूछताछ के चलते विदेश भागने की तैयारी भी कर रहे हैं। दीपक मद्दा के पाटर्नर के रुप में लंबे समय से कामकाज कर रहे अरुण गोयल उर्फ अरुण मामा अभी तक बचे हुए हैं। जबकि दीपक मद्दा के साथ करोड़ों रुपये के लेनदेन और कालेधन को सफेद करने के काम में अरुण मामा की ही बड़ी भूमिका रही है।
बंगाली चौराहे स्थित करतार गृहनिर्माण की दस एकड़ जमीन में सदस्यों को दिये गये भूखंडों की रजिस्ट्री करवाने के बाद जालसाजी से दूसरा नक्शा पास करवाकर दस्तावेजी षडयंत्र भी किया। ठीक ऐसे ही मामले में क्लाथ मार्केट गृहनिर्माण के अलावा कुछ और संस्थाओं के संचालक जेल भेजे जा चुके हैं। करतार गृहनिर्माण संस्था के पूर्व अध्यक्ष सत्यनारायण राठी खुद कई शिकायतें अरुण गोयल की कर चुके हैं। दीपक मद्दा के साथ अरुण मामा के रिश्तों पर पूछताछ होगी तो पांच सौ करोड़ से अधिक का कामकाज की हेराफेरी सामने आ जाएगी। विदेशों में महिलाओं पर करोड़ों रुपये खर्च करने के शौकिन जमीन जालसाज अरुण मामा और दीपक मद्दा बड़े हिस्सेदार है।
उल्लेखनीय है कि अरुण मामा उर्फ अरुण गोयल जो शहर में जमीनों के बड़े जालसाजों में शामिल है। इन्हीं ने करतार गृहनिर्माण संस्था के मूल कालोनाइजरों के साथ षडयंत्र करके संस्था की जमीन पर अपना कब्जा कर लिया था। बंगाली चौराहे पर संस्था की दस एकड़ जमीन थी। इस जमीन पर १५० से अधिक लोगों को पूर्व संचालकों ने विधिवत प्लाट देकर रजिस्ट्रियां करवा दी थी। इसमे सत्यनारायण राठी से लेकर कैलाश मूंगड़, प्रहलाद सोनी और नटवर नागर शामिल थे। बाद में अरुण गोयल ने इसी संस्था में प्रवेश किया और नटवर नागर को अध्यक्ष बनाकर बाकी सब को बाहर कर दिया। इसके बाद बेचे गये भूखंडों पर खेल शुरु किया और उन्हें छोटे छोटे कर नया नक्शा अवैध तरीके से पास करवा लिया।
जबकि यह संस्था के सदस्यों के साथ जालसाजी और हेराफेरी का मामला भी था। इसके बाद अरुण गोयल ने संस्था की जमीन हड़पने के लिए दीपक मद्दा को अपने साथ संस्था में शामिल करने के साथ दीपक मद्दा की समता कंस्ट्रक्शन को डेढ़ लाख वर्गफीट जमीन नियमों के विपरित जाकर दूसरे प्रयोजन के लिए बेच दी। दोनों तरफ दोनों जालसाज जमीन के हिस्सेदार बन गये। समता कंस्ट्रक्शन ने मामा ने तीस प्रतिशत की हिस्सेदारी भी ले ली। यह दस्तावेजों में भी मौजूद है। इसके बाद इस जमीन के अलावा अरुण मामा दीपक मद्दा एम्पायर ग्रुप के विजय अग्रवाल के साथ भी करोड़ों की जमीन में हिस्सेदार है। यह भी जमीनों की हेराफेरी में जेल जा चुक है और दो साल तक जेल में रहने के बाद ईडी की पूछताछ भी जारी रही।
यहां भी जमीन के जालसाज अरुण मामा पर ईडी का ध्यान नहीं गया। अब अरुण मामा करोड़ों की जमीन में जमीन कारोबारी सुरेंद्र संघवी के भी बड़े हिस्सेदार है। सुरेंद्र संघवी को भी ईडी एक बार हिरासत में ले चुकी है। उन पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई है। इधर जमीनों के सबसे बड़े जालसाज अरुण गोयल उर्फ अरुण मामा को पिछले दिनों यह संकेत मिल चुके हैं कि ईडी किसी भी दिन उनपर शिकंजा कस सकती है। इसीलिए अरुण मामा टूर के नाम पर लंबे समय के लिए विदेश जाने की तैयारी कर चुके है।
राज टावर को लेकर भी कई लोगों के पैसे अरुण मामा वापस नहीं कर रहे हैं। उल्लेखनीय है सहकारिता विभाग जमीनों की जालसाजी में बीस से अधिक संस्थाओं के अध्यक्षों और संचालक मंडल को महीनों के लिए जेल भेज चुका है वह अभी तक करतार गृहनिर्माण के जालसाजों को क्यों बचा रहा है। बताया जा रहा है सहकारिता विभाग के कई अधिकारी अरुण मामा के सौजन्य से लाभ उठा रहे हैं। dipak madda and arun mama
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