अब अवैध नहीं, अनाधिकृत कालोनियों के नाम से दस्तावेजों में जानी जाएगी
इंदौर। लंबे अरसे के आश्वासन के बाद मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने पिछले दिनों शहर की 100 अवैध कालोनियों को वैधता की श्रेणी में शामिल किया था। इसके बाद कालोनीवासियों को वैधता के प्रमाण पत्र बांटे गए हैं। इस प्रक्रिया के बाद कानूनी पेंच से बचने सरकार ने नया दांव खेला है। जिन अवैध कालोनियों को वैधता का प्रमाण पत्र दिया जा रहा है, उन्हें वैध नहीं बल्कि अनाधिकृत कालोनियां माना जाएगा। इसकी कागजी प्रक्रिया भी तैयार की जा रही है। अनाधिकृत कालोनी करने के पीछे मूल कारण प्रापर्टी रेट बढ़ाने और भवन निर्माण की स्वीकृति आसानी से हासिल हो सकेगी। निगम ने 116 और अवैध कालोनियों को वैध करने दावे आपत्ति बुलाए हैं, इन्हें भी अनाधिकृत कालोनी का दर्जा दिया जाएगा।
अवैध कालोनी में रहने वाले लोग लंबे समय से अपने क्षेत्र को वैध करने की मांग करते रहे थे, लेकिन कई बार उन्हें कोरे आश्वासन ही मिलते थे। हालांकि, अवैध कालोनी में भी लोगों ने अवैध निर्माण करने के साथ रजिस्ट्री भी करा ली थी। निगम को कचरा कलेक्शन के साथ अन्य प्रकार का शुल्क भी चुकाया जाता था। टैक्स मिलने के बाद इन कालोनियों में विकास कार्य नहीं हो पाते थे। अपने निर्माण तोड़े जाने का भय भी लगातार बना रहता था। पिछले दिनों जब सीएम ने घोषणा की तो उनके चेहरे पर खुशियां लौट आई। वर्ष 2019 में भी इसी तरह अवैध कालोनियों के वैध करने के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था। कुछ जगह शिविर लगाकर नामांतरण तक कर दिए गए थे। इन नामांतरण पर कोर्ट ने सील लगा दी थी।
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राजनीतिक फायदे की कवायद
सरकार सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए इस तरह का काम करती है। ऐसा कोई नियम नहीं है, जिसमें यह उल्लेख है कि कालोनियों को वैध किया जाए। वर्ष 2018 में चुनाव से पहले भी यही किया गया था। बता दें, प्रदेश की अवैध कालोनियों में 21 लाख से अधिक लोग रहते हैं। वैधता का प्रमाण पत्र देने के बाद अब निगम भी भवन निर्माण अनुमति देने की प्रक्रिया में जुट गय है।
टैक्सपेयर के पैसे दांव पर
जिन अधिकारियों के संरक्षण में अवैध कालोनी फलीफूली उन्हें क्लीनचिट दे दी गई है। लोगों से 20 फीसदी लिया जाने वाला शुल्क भी माफ कर दिया गया। कालोनाइजर्स अवैध कालोनी में प्लाट बेचकर लाखों करोड़ों कमाकर चला गया है और अब उस पर कालोनी के विकास के लिए लाखों करोड़ों टैक्सपेयर की गाढ़ी कमाई से लगने वाले हैं।