तीन दिन पहले क्षेत्र क्रमांक दो में आकाश बाबू द्वारा एक बैठक भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं की निगम के सभापति मुन्नालाल यादव के झंडे तले आहूत की। इस बैठक में क्षेत्र के विधायक यानी दादा दयालु नहीं थे। इस दौरान यहां पर दिए गए प्रवचनों की चर्चा पूरे क्षेत्र में हो रही है। आकाश बाबू ने अपने उद्बोधन में सवाल उठाया कि क्षेत्र क्रमांक दो में भाजपा लगातार कैसे कमजोर हो रही है।
इस क्षेत्र में कांग्रेस अपना जनाधार कैसे बढ़ा रही है, जबकि क्षेत्र के विकास में भाजपा की बड़ी भूमिका रही है। कार्यकर्ताओं को अब घर-घर जाकर यह बताना होगा कि भाजपा के कार्यकाल में इस क्षेत्र में क्या-क्या कार्य हुए हैं। इस मामले में जब मुन्नालाल यादव से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के 9 साल के कार्यकाल को लेकर यह बैठक आयोजित की गई है। बैठक में दादा की जरूरत नहीं थी। bjp indore
अब यहीं से आर.के. स्टूडियो में नई फिलिम शुरू हो गई है। सवाल उठ रहा है कि दो नंबर में ऐसी क्या भाजपा कमजोर हो गई कि दादा दयालु को किनारे कर अब भाजपा को मजबूत करने का काम आकाश बाबू के झंडे तले मुन्ना भिया को शुरू करना पड़ रहा है। अब यह तो आने वाला समय बताएगा, परंतु अभी भी भाजपा की आधी आबादी दो और तीन नंबर के गणित में ही उलझी हुई है। आधी भाजपा कहती है कि दादा दयालु इस बार किसी और विधानसभा में जा सकते हैं तो आकाश बाबू दो नंबर में आ सकते हैं। आने और जाने के चक्कर में कार्यकर्ता बिना बात के घनचक्कर हो रहे हैं।
अब असरदारों को काम पर लगाया…
पिछले समय कांग्रेस से कुलांचे भरकर भाजपा में अपनी जगह तमाम प्रदेश प्रवक्ताओं के ऊपर जाकर बनाने वाले सरदार नरेंद्र सलूजा लंबे समय से ट्विटर पर कमलनाथ सहित पूरी कांग्रेस की बखिया उधेड़ रहे थे। उनके ऊपर बैठने को लेकर भाजपा के ही कई प्रवक्ताओं ने कड़ा ऐतराज दर्ज कराते हुए यहां तक कह दिया था कि अब आगे भी भाजपा इन्हीं से काम कराए।
एक प्रवक्ता, जो मोघेजी के बेहद करीबी हैं, उन्होंने तो प्रवक्तागिरी से ही हाथ जोड़ लिए। अपने कामकाज में लग गए। स्वाभाविक है, पंद्रह साल दरी उठा रहे प्रवक्ता अब दरी पर बैठें और उन्हें भाजपा में ऐसे लोग ज्ञान पिलाएं, जो भाजपा की शुचिता-संस्कार की राजनीति से वाकिफ भी नहीं हैं। लंबी खींचतान के बाद अब एक बार फिर भाजपा के पुराने बड़े प्रवक्ता गोविंद मालू को अब प्रमुख कमान सौंपी गई है।
दूसरी ओर अब केवल सरदारजी ट्विटर पर ही तिरछी नजर से निशाने लगाते रहेंगे। अब ये वक्त बताएगा कि भाजपा में कब, किसे भेरू बना दें और कब किसे भेरू से पत्थर बना दें, यानी भाजपा में आए नेता शुरू में भेरू, उसके बाद कालभेरू और फिर बाद में काम समाप्त होने के बाद लाबरिया भेरू के निवासी हो जाते हैं।