मालवा में कम हो रहा इमरान का प्रताप कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर विराजित इमरान प्रतापगढ़ी जिन मुस्लिम हित की राजनीति कर संसद भवन की सीढ़ियां चढ़ने में सफल हुए हैं, और प्रदेश के मालवा निमाड़ के युवाओं में अपनी अच्छी पहचान बनाने में कामयाब भी हुवे इसी के साथ इंदौर ओर आसपास के युवाओं से लगातार सम्पर्क में भी रहे , लेकिन सांसद पद की सुविधाओं और कांग्रेस की गाइड लाइन का पालन करते हुवे अब वे भी राजनीति सिख गए है । और प्रदेश में पिछले दिनों हुए साम्प्रदायिक विवादों में अल्पसंख्यक समाज को फोन पर कोरे वादे कर रहे है ,जिसके चलते युवाओ में अब इमरान का प्रताप कम होता जा रहा है , सोशल मीडिया पर लगातार इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ़ युवाओं का गुस्सा फूट रहा है।
अंगूर खट्टे हैं….
हाथ आया लड्डू मुंह तक नहीं पहुंच पा रहा… के हालात से प्रदेश के मुस्लिम इरादों से जुड़े पदाधिकारी गुजरते नजर आ रहे हैं। मप्र वक्फ बोर्ड गठन की प्रक्रिया में अध्यक्ष बनाए जाने की हरी झंडी के साथ मेंबर बनाए गए डॉ सनवर पटेल इसी बानगी का एक हिस्सा हैं। लगातार आपत्तियों और अदालती खटपट ने आठ माह में न तो बोर्ड को आकार दिया और न डॉ पटेल की अध्यक्ष का ताज पहनने का ख्वाब पूरा हो रहा है। अदालत की हर तारीख पर एक उम्मीद जागती है और अगली तारीख तक मामला टल जाने के साथ उसी रफ्तार से ठंडी भी हो जाती है। इनके अध्यक्ष बनने में अड़चनें हैं और जो अध्यक्ष बन चुके हैं, वह अध्यक्षीय सुविधाएं पाने के लिए मचल रहे हैं। सियासी, प्रशासकीय बाधाओं ने मप्र राज्य हज कमेटी अध्यक्ष रफत वारसी को बिना सिंहासन का सरदार बनाकर छोड़ दिया है। गाड़ी, बंगला, चाकर की सुविधाओं वाली उनकी फाइल बार बार इसलिए रुक जाती है कि अब तक उन्हें मंत्री दर्जे का ऐलान नहीं हो पा रहा है। बनते बिगड़ते समीकरणों में खाली पड़े मुस्लिम इदारों मप्र राज्य अल्पसंख्यक आयोग, मप्र मदरसा बोर्ड, मप्र अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम, मसाजिद कमेटी आदि में एडजस्ट होने के लिए मुस्लिम भाजपाई अरमानों के पंख फैलाकर अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री की चौखट पर कांव कांव कर रहे हैं। लेकिन मंत्री जी इन्हें दाना डालने में अपनी असमर्थता जताते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष या सीएम के दर की तरफ उड़ान भरने के लिए सलाह देकर अपनी जान बचा रहे हैं।
उर्स के नाम पर बीमार और विकास यात्रा में फिट
खजराना नाहर शाह वली दरगाह पर रिसीवर पद पर आलती पालती मारकर बैठे सिराज एहमद पर लोगो का गुस्सा फूट रहा है, पहले तो उर्स के नाम पर साहब की तबीयत नासाज हो जाती है, वही जब विधायक महोदय की विकास यात्रा की चादर दरगाह पर चढ़ने लगती है तो साहब अलग अलग पोज देते नजर आते है ,वैसे भी प्रशसनिक अधिकारी को राजनीतिक विकास यात्रा के करीब नही होना चाहिए ,अगर इसकी शिकायत होती है तो साहब की मुश्किलें बढ़ सकती है।