पिछले दिनों भाजपा से पार्षद का चुनाव जीतकर आए नेताओं को प्रशिक्षण शिविर में यह बताया गया कि उन्हें राजनीति कैसे करनी है। बड़ी-बड़ी कारों से दूर रहना है, परंतु यह नहीं बताया कि पुराने कौन-कौन से नेता, जो स्कूटर से आते थे और अब वे पचास लाख की कार में घूम रहे हैं। इधर जिस दिन जॉल आडिटोरियम में पार्षदों को संस्कार सिखाए जा रहे थे, उस दिन आने के लिए तो दरवाजे खुले थे, परंतु जाने के लिए दरवाजों पर ताले डल चुके थे, यानी बीच में कोई भी कलाकारी नहीं कर पाए। मुख्य द्वार पर तैनात सुरक्षाकर्मियों को सख्त निर्देश थे अंदर से किसी को बाहर नहीं जाने दें। अब सवाल उठ रहा है कि क्या वाकई नगर निगम में इतनी कमाई है कि पार्षदों को लूटपाट से रोका जा सके। पार्षदों की कमाई देखनी है तो एक बार भाजपा के ही नेता अब उनकी सम्पत्ति का आंकलन कर लें।
संजू बाबू दाल-बाफले सुताएंगे…
एक बार फिर क्षेत्र क्रमांक एक में संजू बाबू कथा के बाद अब नई रामायण शुरू कर रहे हैं। चुनाव के एक साल पहले अब अपने मतदाताओं को नमक मथर कर खिलाने का काम शुरू हो रहा है, यानी हर वार्ड में भव्य दाल-बाफलों का आयोजन प्रारंभ हो रहा है। नई रणनीति के तहत दाल-बाफलों के और भी कुछ दिया जा सकता है। इधर, क्षेत्र की एक सौ एक गरीब कन्याओं तैयार हो चुका है। पहली बार यह जिसमें सामने कौन होगा, इसकी कोई नहीं है। हालांकि अभी क्षेत्र में संजू बाबू ही ऐसे नेता हैं जो सुबह उठते से ही क्षेत्र में सक्रिय हो जाते हैं।
अविश्वास के बीच विश्वास…
पिछले दिनों कैलाश विजयवर्गीय के भतीजे के दिल्ली में होने वाले विवाह समारोह में विधानसभा में चल रही बहस के कारण कई विधायकों को चाहकर भी जाने का मौका नहीं मिल पाया। देर रात तक अविश्वास प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री को बोलना पड़ा, परंतु इस बीच कमलनाथ दिल्ली पहुंचे और उन्होंने विवाह समारोह में शिरकत के साथ आशीर्वाद भी दिया। इस पर भाजपा के एक नेता का कहना था- शिवराजजी, अविश्वास के संकट में फंसे थे तो दूसरी तरफ कमलनाथ को लेकर पूरा विश्वास था कि वे अवश्य जाएंगे। कुछ रिश्ते राजनीति से ऊपर भी होते हैं, उसमें एक रिश्ता यह भी है। इसके पूर्व भी कैलाश विजयवर्गीय के यहां आयोजित एक समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह दिल्ली से सीधे केवल समारोह में शामिल होने के लिए आए थे। वैसे भी उनके महापौर कार्यकाल से लेकर अभी तक उनके कांग्रेसियों से रिश्ते बड़े सम्मान के रहे हैं।