गुस्ताखी माफ़: बीच सभा मलाई मारकर ले गए दादा….फरमान जारी होते ही….कल्चर के नाम पर नाइट कल्चर
दांव-पैंच में उलझ गए अनूप...भिया की बात तो अल्लग ही है...
बीच सभा मलाई मारकर ले गए दादा
हुकुमचंद मिल के मजदूरों का मामला अब जमीनी आधार पर भले ही अभी कमजोर हो, पर अभी सपने में दाल-बाफले पूरी कटोरी घी डालकर खाने में कोई दिक्कत नहीं है। इधर, नगर निगम महापौर द्वारा किए गए ऐलान के बाद मिल मजदूरों में हरियाली-खुशयाली का माहौल है। ऐसे में सभी चाहते हैं कि इस बहती गंगा में हमारी नाव भी दिखाई दे। निगम परिषद की बैठक में इसकी वाहवाही को लेकर वार्ड के पार्षद और एमआईसी सदस्य जीतू बाबा ने परिषद में उद्बोधन देने के लिए रातभर अच्छी तैयारी की, ताकि अगले दिन वे मजमा लूट सकें, परंतु उनके इस प्रयास पर दादा दयालू ने एक बाल्टी दही डाल दिया। दादा ने सुबह सभापति मुन्नालाल भिया को फरमान जारी कर दिया कि दादा अपनी रियासत से निकलकर सही समय पर सियासत करने पहुंच जाएंगे और उन्होंने यह भी फरमान दिया कि सबसे पहले उनका उद्बोधन करवा दिया जाए। होना भी यही था, दादा ने हुकुमचंद मिल के मजदूरों की व्यथा-कथा और उनके द्वारा किए गए प्रयास को लेकर अपनी बात कही। जब वे बोल रहे थे तो जीतू यादव सोच रहे थे कि यह सब तो उन्हें बोलना था, जिसकी तैयारी उन्होंने की थी। क्या कर सकते हैं। नाचे-कूदे कोई और खीर खा जाए कोई।
फरमान जारी होते ही….
इन दिनों महापौर की सक्रियता दिखाई देने लगी है। धीरे-धीरे वे शहर को और शहर के नेताओं की नसों को समझने लगे हैं। इधर उन्होंने फरमान जारी कर दिया था कि अब वे नगर निगम में तीन से पांच हफ्ते में दो दिन मिलेंगे। किसी को तीन-पांच करने की जरूरत नहीं पड़ेगी, परंतु जिस दिन से उनके कार्यालय के बाहर बोर्ड लगा है, बस उसी दिन से उनका नगर निगम आना कम हो गया है। कारण जो भी हो, शहर इन दिनों जनवरी के दो बड़े आयोजनों की तैयारी में लग गया है।
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