कांग्रेसी चश्मे को उतारकर आम लोगों ने देखा राहुल गांधी को…
कसौटी पर खरे उतरे यात्रा सफल बनाने वाले नेता
इंदौर। अंतत: इंदौर में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का कोई लाभ भाजपा को दिखे न दिखे पर यह यात्रा कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं को जमीन पर एकजुट करने में सफल हो गए। मालवांचल की इस यात्रा को सफल बनाने में कांग्रेस के कई नेताओं की बड़ी भूमिका रही।
इसमें अरुण यादव से लेकर सत्यनारायण पटेल, जीतू पटवारी, संजय शुक्ला की अहम भूमिका रही तो वहीं कांग्रेस के नगर अध्यक्ष विनय बाकलीवाल और ग्रामीण अध्यक्ष सदाशिव यादव भी कार्यकर्ताओं से समन्वय बनाने में सफल हुए। संजय शुक्ला के पास पूरे मार्ग पर भोज की व्यवस्था थी तो सत्यनारायण पटेल के पास इंदौर के स्वागत से लेकर चिमनबाग पर ठहरने की व्यवस्था रही। जीतू पटवारी ने राऊ में अपनी लाइन और बड़ी कर ली।
प्रदेश के भाजपा नेता राहुल का जूता, राहुल की टीशर्ट, राहुल का कंटेनर, राहुल का टॉयलेट, राहुल का गद्दा, राहुल की दाढ़ी… वगैरह से संगठन और उसके नेता ऊपर उठ ही नहीं पाए। जब की यह यात्रा राजनैतिक परिदृश्य से कहीं आगे निकल गई है। इंदौर में लाखो लोग इस यात्रा में उमड़ पड़े यह कांग्रेस संगठन के बूते की बात नहीं पर यह जरूर है, की कमलनाथ सरकार के गिरजाने का जनता में पीड़ा जरूर दिखी लेकिन यह यात्रा करते हुए राहुल गांधी कौन कौन से सवाल उठा रहे हैं ? देश में लोकतंत्र कुचला जाना, संस्थाओं का बंधक हो जाना, विपक्ष की आवाज को खत्म कर देना, आर्थिक संकट का गहराते जाना, महंगाई, बेरोजगारी, किसान, मजदूर, दलित, आदिवासी और युवाओं से जुड़े सवाल उठा रहे हैं राहुल ! जो जनता के सवाल है। जिससे केंद्र सरकार और भाजपा के नेता सुनकर भी अनसुना कर रहे है। यही बात राहुल अपनी यात्रा के दौरान कह रहे है।
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कश्मीर में तिरंगा फहराकर इस यात्रा का समापन होगा। तब इसकी तह में जाने पर बेहद गंभीर और बुनियादी बहसें होंगी। लेकिन उससे भाजपा को नुकसान होगा ? यह बड़ा सवाल समय के गर्भ में छुपा है! मोदी यह होने नहीं देंगे। 23 करोड़ लोगों के गरीबी रेखा से नीचे जाने पर बात होगी? क्या बढ़ती किसान और बेरोजगारों की आत्महत्याओं, ढह चुकी इकोनॉमी पर बात होगी? राहुल यात्री के रूप में लगातार संदेश दे रहे है की अब आपके पास सिर्फ दो रास्ते हैं- या तो आवाज उठाइए या फिर अनंत काल के लिए मजहबी सियासत में मशगूल हो जाइए।bharat jodo yatra latest news
देश आजादी के बाद इतना बड़ा नेता शायद ही इस तरह जमीन पर उतर कर जनता के बीच उनसे मिला। दिग्विजय सिंह में जो गजब की संगठन क्षमता है उसने मध्यप्रदेश में इस यात्रा को नया स्वरूप दिया जयराम रमेश के साथ उनका बेहतर ताल मेल के साथ जिन नेताओ के हाथ में उन्होंने इस यात्रा की कमान सोपी उन्हें उम्मीद से बडकर अपना योगदान दिया महू और उज्जैन की बड़ी जवाबदारी सज्जन सिंह वर्मा के पास है। महू डा भीमराव अंबेडकर की जन्म स्थली और ड्रीम लैंड चौराहे पर हुई जनसभा में बड़ी संख्या दलित वर्ग जुड़ा। इसमें कोई शक नहीं जीतू पटवारी युवाओं के नेता है। महू से यात्रा के आगाज के साथ हजारों की संख्या में युवा जुड़े राहुल के साथ कदम ताल करते हुए कार्यकर्ताओं के साथ अन्य लोगों को मिलवा रहे थे पूरी यात्रा की कमान उन्होंने ही संभाल रखी थी।
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