अहमदाबाद (ब्यूरो)। गुजरात चुनाव में पहले चरण के मतदान को लेकर जैसे-जैसे समय करीब आ रहा है वैसे वैसे दलों में तोड़फोड़ और निर्दलियों को अपने पाले में लेने को लेकर भाजपा ने अपने सारे प्रयास शुरु कर दिये हैं। गुजरात चुनाव के पहले चरण में 89 सीटों पर मतदान में कौन आगे रहेगा और कौन पीछे रहेगा। झाड़ू वाली पार्टी इस बार भाजपा और कांग्रेस के कौन से क्षेत्रों में झाड़ू लगाने जा रही है यह भी देखना होगा।
कुल मिलाकर 89 सीटों पर मतदान होना है इसमे से सौराष्ट्र और कच्छ की 54 सीटें शामिल हैं और इसके अलावा दक्षिण गुजरात की 35 सीटें भी शामिल हैं इनमे पिछले चुनाव को ध्यान में रखे तो यहां पर एक-एक से मुकाबला बराबर रहा है परंतु इस बार भाजपा को कई क्षेत्रों में अपने विद्रोहियों और आप पार्टी के उम्मीदवारों से दो-दो हाथ करने पड़ रहे हैं। सर्वे एजेंसियों के सर्वे भी बता रहे हैं कि यदि आप पार्टी 10 प्रतिशत तक वोट ले गई तो भाजपा को 130 सीटें तक मिल जाएगी, परंतु यदि 25 प्रतिशत के लगभग वोट आप पार्टी को मिले तो फिर त्रिकोणीय संघर्ष में भाजपा 80 सीटों के लगभग सिमट जाएगी। वैसे भी हर विधानसभा चुनाव में पिछले चार बार से भाजपा आठ सीटें लगातार कम हो रही है और पिछली बार चुनाव में भाजपा को 16 सीटें गवाना पडी थी। इस बार 19 सीटों पर भाजपा के ताकतवर विद्रोहियों ने भाजपा के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी है।
सौराष्ट्र और कच्छ की 54 सीटों में से कांग्रेस ने 34 सीटें जीती थी इसके मुकाबले में बीजेपी भारी प्रचार के बाद भी 23 सीटें ही जीत पाई थी, जबकि पिछले चुनाव में यहां से भाजपा को 35 सीटें मिली थी। जहां तक दक्षिण गुजरात की बात है वहां बीजेपी को 35 में से 25 सीटें मिली थी। इसमे 16 सीटों में से 15 सीटे भाजपा ले गई थी और एक सीट कांग्रेस को मिली थी। सूरत शहर से मिली थी सूरत टेक्सटाइल का बड़ा क्षेत्र है और यहां जीएसटी को लेकर हुए विरोध के बाद माना जा रहा था कि भाजपा को यहां बड़ा नुकसान होगा परंतु अमित शाह के जीएसटी में संशोधन को लेकर किये गये वादे के कारण यहां भाजपा ने बाजी मार ली थी।
परंतु कपड़े पर टैक्स को लेकर कोई संशोधन नहीं होने के बाद इस क्षेत्र में इस बार बड़ी नाराजगी दिख रही है। हालांकि यहां शहरी क्षेत्र में कांग्रेस का प्रभाव नहीं है और इस बार आप पार्टी यहां से खाता खोलने की तैयारी कर रही है$। दूसरी ओर सौराष्ट्र में भाजपा का परचम तमाम कोशिश के बाद भी पिछले दो चुनाव से नहीं लहरा पा रहा है।
सौराष्ट्र कांग्रेस का गढ़ है इस क्षेत्र में कांग्रेस की पकड़ मजबूत मानी जा रही है। सौराष्ट्र के अमरौली शहर में स्थिति यह थी कि 5 में से पांचों सीटें कांग्रेस को मिली थी और मतों का अंतर भी ज्यादा था यानि इस बार क्या होगा यह देखना होगा। इधर सूरत में भी छह सीटों पर आप पार्टी के उम्मीदवार आगे निकलने की स्थिति में दिखाई दे रहे हैं। यहां जो नुकसान होना है वह भाजपा को ही होना है। (गुजरात चुनाव के ताजा समीकरण)
कांग्रेस को यहां खोने के लिए कुछ भी नहीं है। यहां भाजपा के गोपाल अटालिया, अलपेश यहीं से खड़े हुए हैं। यहां नगर निगम चुनाव में आप पार्टी ने बड़ी बढ़त बनाई थी। इसी कारण सूरत में भाजपा में बढ़ी घबराहट है। यहीं पर एक सीट पर आप पार्टी ने जरीवाला को उम्मीदवार बनाया था जिसे बाद में भारी दबाव के चलते मैदान से हटना पड़ा था। यहां पर नामांकन वापस लेने के पीछे की कहानी यह है कि दोनों ही उम्मीदवार एक ही जाति के थे और यहां एक लाख वोट मुस्लिमों का था तो कांग्रेस ने मुस्लिम उम्मीदवार को उतार दिया था इसके बा$द माना जा रहा था कि अब यहां फेरबदल हो जाएगा।
कांग्रेस इस समय ग्रामीण क्षेत्र में लगातार खटिया बैठक पर सारा जोर दे रही है। पैसों के अभाव में छोटी छोटी बैठकों और स्थानीय उम्मीदवार लगातार संपर्क में बने हुए हैं। इस क्षेत्र में पाटीदार और किसानों का सबसे ज्यादा असर है। किसानों की स्थिति यहां बेहद दयनीय है। किसान खुद मुफ्त बिजली, पानी के प्रभाव में आ रहे हैं। कांग्रेस ने यहां किसानों को और बिजली को लेकर घोषणा पत्र में कई आश्वासन दिये हैं।
पिछले चुनाव में गुजरात में भाजपा को 99वें सीटें मिली थी इनमे 9 सीटें 2000 से कम वोटों से जीती गई थी। इस बार कांग्रेस से भाजपा में आये नेताओं को भाजपा ने 19 टिकट दिये है। इसका भाजपा के ही कार्यकर्ता भारी विरोध कर रहे हैं। 14 क्षेत्रों में भाजपा के कद्दावर नेता निर्दलीय के रुप में मैदान में उतर चुके हैं। आजतक लगातार सत्ता में रहने वाले दलों के लिए सीटें बढ़ने का देश में कहीं पर भी रिकार्ड नहीं है। हर बार सीटें कम होती गई है। पश्चिम बंगाल भी इसका उदाहरण है। भाजपा भी मान रही है कि इस बार सत्ता के मुहाने पर आकर भाजपा रुक सकती है और इसीलिए भाजपा से विद्रोह कर खड़े होने वाले उम्मीदवारों पर भी अलग से नजर रखी जा रही है।
हिमाचल के सर्वे गायब
पिछले 25 सालों में पहले बार गुजरात में यह देखने को मिल रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को विद्रोह के चलते मुख्यमंत्री के क्षेत्र में भी रैलियां करना पड़ रही है। दोनों ही नेताओं ने कार्यकर्ताओं तक को साधने के लिए सीधे बातचीत करना शुरु कर दी है। दोनों को ही पहली बार यहां अपना विरोध अपने सामने देखने को मिल रहा है। इधर हिमाचल प्रदेश के चुनाव को लेकर मतदान बाद किये गये सर्वे सोशल मीडिया पर जमकर चल रहे हैं जिसमे बताया जा रहा है हिमाचल में कांग्रेस की सरकार बन रही है।
देश की सबसे कम मजदूरी गुजरात में
खेती और मजदूरों को लेकर मध्यप्रदेश और गुजरात में सबसे न्यूनतम मजदूरी मिलती है। राष्ट्रीय स्तर पर खेती और मजदूरों के लिए 323 रुपए तय है जबकि इन दोनों प्रदेशों में कृषि क्षेत्र में मजदूरी करने वालों को 220 रुपए ही मिल रहे हैं इसे लेकर भी बड़ी नाराजगी है। अभी यहां पर यह भी बताया जा रहा है कि केरल में सबसे ज्यादा मजदूरी कृषि क्षेत्र में है प्रति मजदूर को वहां 726 रुपए मिलते है। यानि अन्य क्षेत्रों में 18 हजार रुपए तक मजदूरी मिल रही है जबकि गुजरात में गरीब मजदूरों को 6 हजार रुपए तक कमाने के लिए काम करना पड़ रहा है। यही स्थिति गैर मजदूरों की है उन्हें भी लगभग यही मजदूरी मिल रही है। अब सारा मामला फ्री रेवड़ी को लेकर है। दोनों ही कांग्रेस और आप पार्टी ने बिजली से लेकर किसानों के कर्ज माफ करने तक साथ ही सिलैंडर एक परिवार को चार मुफ्त देने का ऐलान किया है देखना होगा कि यह सब कितना भारी पड़ता है। (गुजरात चुनाव के ताजा समीकरण)